इंदौर। मां-बाप की गलतियों का खामियाजा बच्चे भुगतेंगे। नि:शुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत प्रदेशभर से 1 लाख 34 हजार अभिभावकों ने आवेदन भरे, लेकिन इनमें से 34 हजार अभिभावकों के आवेदन त्रुटियों के चलते निरस्त हो गए। अब अन्य बच्चों को प्रवेश प्रक्रिया के तहत पात्र होते हुए विभिन्न निजी स्कूल आवंटित किए गए।
नि:शुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत बड़े निजी स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश प्रक्रिया के अंतर्गत 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाती हैं, जिनमें आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावकों के बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश दिया जाता है। मार्च महीने में शुरू हुई प्रक्रिया के तहत करीब 1 लाख 34 हजार अभिभावकों ने अपने बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा के लिए निजी स्कूलों में प्रवेश कराने के लिए आवेदन दिया था। इनमें करीब 34000 ऐसे अभिभावक थे जो ठीक से आवेदन पत्र जमा नहीं कर पाए। कुछ ने बीपीएल कार्ड नहीं लगाया तो कुछ ने अपना जिला ही बदल लिया। वहीं कुछ आवेदक अपात्र भी रहे। ज्यादातर अभिभावक आवेदन पत्र जमा करने में त्रुटि कर गए, जिसके कारण उनके बच्चे लॉटरी से बाहर हो गए। इनमें इंदौर जिले के करीब 1900 अभिभावक भी शामिल हैं।
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