तिरुचिरापल्ली: बुलंद हौसले और कड़ी मेहनत से क्या कुछ हासिल नहीं किया जा सकता. ऐसे ही जोश और जज्बे से भरी है रोहिणी की कहानी. जिन्होंने देश की सबसे कठिन और सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा परीक्षा में शुमार जेईई मेन (JEE) को पास किया है. उनकी कामयाबी की चर्चा चारों तरफ हो रही है. तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले के पचमलाई हिल्स की रहने वाली रोहिणी एक आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनकी उम्र महज 18 साल है. जेईई मेन पास करके अब वह एनआईटी त्रिची से बीटेक करेगी.
रोहिणी ने जेईई मेन में 73.8% अंक हासिल किए है इसके साथ ही उन्होंने 29 आदिवासी स्कूलों में राज्य में टॉप किया है. जेईई में उन्हें 73.8% अंक मिले और कंबाइंड सीट आवंटन प्राधिकरण के जरिए से उन्हें केमिकल इंजीनियरिंग के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, त्रिची में सीट मिली. जिसके बाद अब वह रोहिणी एनआईटी त्रिची से बीटेक करेगी. उनकी यह कामयाबी दूसरों के लिए एक मिसाल है.
रोहिणी एक आदिवासी समुदाय से आती हैं. उन्होंने अपनी पढ़ाई आदिवासी सरकारी स्कूल से की. एनआईटी त्रिची में सीट मिलने के बाद उन्होंने केमिकल इंजीनियरिंग का विकल्प चुना है. यह उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि तमिलनाडु राज्य सरकार उनकीफीस भरेगी. सरकार की इस मदद के लिए रोहिणी ने सीएम का शुक्रिया अदा भी किया है. रोहिणी का कहना है कि उनकी कामयाबी के पीछे स्कूल के हेडमास्टर और सभी कर्मचारियों का हाथ है. उन्हीं की बदौलत उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया है.
रोहिणी इंजीनिर बनना चाहती हैं. उन्होंने नीट, क्लैट समेत कई परीक्षाओं में शामिल हुईं. रोहिणी का कहना है कि उनके टीचर्स ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया और उनका हौसला बढ़ाया. उनका कहना है कि अब वह एनआईटी-टी में पढ़ाई करेंगी. साथ ही स्कूल के छात्रों की भी मदद करेंगी. गरीब परिवार से आने वाली रोहिणी के माता-पिता दिहाड़ी मजदूर हैं. इसके साथ ही रोहिणी ने खुद भी मजदूरी की साथ ही पढ़ाई पर भी पूरा फोकस किया. उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्होंने कड़ी मेहनत की. जिससे न सिर्फ उन्होंने जेईई पास किया बल्कि एनआईटी त्रिची में सीट भी हासिल की. विपरीत परिस्थितियों और कठिन हालात से जूझकर कामयाबी कैसे हासिल की जाती है आज रोहिणी इस बात की मिसाल हैं.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved