जयपुर । जैन समाज का मानना है कि (Jain Society Believes that) पारसनाथ पर्वत (Parasnath Mountain) को पूरी तरह सुरक्षित किया जाए (Should be Completely Protected) । इसकी सुरक्षा का जिम्मा (In Charge of its Security) जैन समाज को (To Jain Society) ही दिया जाए (Be Given) । केंद्र सरकार ने भले ही जैन धर्मावलंबियों के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पारसनाथ में पर्यटन और इको टूरिज्म की गतिविधियों पर रोक लगा दी है, लेकिन जैन धमार्वलंबियों का मानना है कि इससे खुश होने की बात नहीं है। यह पवित्र स्थल पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हुआ है। अभी भी सरकार उस क्षेत्र में 67 प्रतिशत हिस्सा ही जैन समाज का मानती है, बाकी 33 प्रतिशत क्षेत्र में वह कुछ भी गतिविधि लागू कर सकती है।
दरअसल सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने के झारखंड सरकार के फैसले के बाद देशभर में जैन समाज के लोगों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए आंदोलन शुरू किया था। जयपुर में कुछ जैन मुनियों ने आमरण अनशन किया। इनमें एक जैन मुनि का देवलोक गमन हो गया। इसके बाद केंद्र सरकार ने जैन धर्मावलंबियों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल पारसनाथ में पर्यटन और इको टूरिज्म की गतिविधियों पर रोक लगा दी है।
अब जैन समाज यह आवाज उठा रहा है कि सम्मेद शिखर अभी भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। उनका कहना है कि गिरनार, कैलाश पर्वत आदि जगहों पर भी बड़े जैन मंदिर थे। जहां मंदिर कैंपस में किसी तरह की गतिविधि नहीं थी। लेकिन आसपास का इलाका इतना अपवित्र हो गया कि अब जैन समाज के लोगों ने वहां जाना ही छोड़ दिया। सम्मेद शिखर को भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं किया गया तो जैन समाज के लोग एक दिन खुद-ब-खुद वहां जाना छोड़ देंगे और अन्य लोगों का कब्जा हो जाएगा।
जैन समाज का मानना है कि इसका स्थायी समाधान यह है कि सम्मेद शिखरजी के पूरे पर्वत को ही सुरक्षित किया जाए। यहां की सुरक्षा का जिम्मा भी जैन समाज को ही सौंपा जाए। सोशल मीडिया पर चल रहे जैन धर्म बचाव आंदोलन में यह सब सवाल उठाए गए हैं। उनका कहना है कि इस सम्मेद शिखर तीर्थ स्थल समिति के पास पैसों की कोई कमी नहीं है। हमें सरकार का भी मुंह देखने की जरूरत नहीं है। रिटायर्ड सैन्यकर्मियों के जरिये हम इस पूरे क्षेत्र की सुरक्षा का जिम्मा ले सकते हैं।
जैन समाज के आंदोलनकारियों का दावा है कि अभी भी सरकार सम्मेद शिखर पर्वत के एक हिस्से को ही जैन समाज का तीर्थ स्थल मानती है। यह गलत है। लड़ाई इसके लिए ही करनी है। हम पूरा क्षेत्र को पवित्र रखना चाहते हैं। जयपुर में जैन समाज के वरिष्ठ अधिवक्ता पूनम भंडारी का कहना है कि मैं इस बात से सहमत हूं कि सम्मेद शिखरजी का पूरा क्षेत्र पवित्रता के लिहाज से सुरक्षित होना चाहिए। यह जिम्मेदारी जैन समाज को दी जा सकती है। समाज के लोगों को भी इस पर एतराज नहीं होगा।
भारत सरकार के वन महानिरीक्षक (वन्य जीव) रोहित तिवारी ने झारखंड के वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव एल खियांग्ते को भेजे गए पत्र में कहा है कि सम्मेद शिखरजी में पर्वत, वन संपदा और पशु-पक्षियों से छेड़छाड़ पर रोक लगाई जाए। पारसनाथ पर्वत पर अनावश्यक कैपिंग, ट्र्रैकिंग आदि गतिविधियों पर पूरी तरह रोक को सुनिश्चित किया जाय। इसके साथ ही राज्य सरकार ने भी 21 दिसंबर को जारी प्रतिबंधों को कड़ाई से लागू करने का जैन समाज को भरोसा दिलाया है।
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