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    कागज के फूल… खुशबू कहां से लाएंगे

  • February 06, 2023

    अडानी ने खरबों गंवाए… हर दिन अमीरी में नीचे आए… अखबारों से लेकर चैनलों तक ने सुर गुंजाए… लेकिन अडानी ने क्या कमाया… क्या गंवाया… कागजों का पैसा था कागजों की कमाई और कागजों पर गंवाई… लेकिन उन करोड़ों देशवासियों का क्या जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई शेयरों के फर्जी उतार-चढ़ाव में लगाई… अडानी के सट्टेबाजी में गंवाई…एक उम्र लग जाती है चंद पैसे कमाने में… उन्हें देर नहीं लगती है कुबेर बन जाने में… क्योंकि वो बनते नहीं उन्हें बनाया जाता है… मजबूत घोड़ा पहले नेताओं के अस्तबल में पाला जाता है… इशारों पर दौडऩे लायक बनाया जाता है… फिर धन कुबेरों के मैदान में उतारकर दांव लगाया जाता है… ऐसे घोड़े कभी सहारा कहलाते हैं… कभी अडानी बन जाते हैं… ऐसे घोड़े के लिए मैदान बनाने वाले दुनियाभर के ताकतवर खड़े हो जाते हैं… बैंक अपने दरवाजे खोल देती है… जनता का पैसा लूटने वाली संस्थाएं आगे बढ़ती हैं… शेयरों की बोली लगाई जाती है… बोली बढ़ाकर कीमतें बनाई जाती है… फिर बेचारी जनता भी कागज के फूलों की खुशबू सूंघते-सूंघते अपना जीवन महकाने के लिए दौड़ी चली आती है… अडानी जैसे जुंआरियों का बाजार सज जाता है, तब जाकर असली खेल खेला जाता है… खुद की कंपनियों के शेयर खुद ऊंचे दामों पर खरीदते हैं… चंद पैसे लोगों में बांट देते हैं… दस रुपये का कागज हजारों रुपये में बदल जाता है… फिर जनता को ललचाया जाता है… उनकी गाढ़ी कमाई को शेयर बाजार में लगवाया जाता है… दाम बढ़ाकर वही शेयर बैंकों को टिकाया जाता है… जनता के जमाधन के बदले कागजों के ढेर बटोरने वाली बैंकें पहले कर्ज देती है… फिर ऐसी कागजी कंपनियों की भागीदार बनकर अर्थव्यवस्था के फुग्गे में भरी नकली हवा में शामिल हो जाती है… यह कहानी दिन-महीने-साल तक दोहराई जाती है… सडक़ के कारोबारी की हैसियत अरबों-खरबों की हो जाती है… उसके नाम की ख्याति दुनिया के अमीरों में शुमार हो जाती है… सरकार जिसे बनाती है, फिर वो सरकार बनाने-बिगाडऩे में लग जाता है… वो ही सरकार चलाता है… वो देश की अर्थव्यवस्था बन जाता है… वो ही अपनी अंगुलियों पर जीडीपी को नचाता है… वो ही विकास दर घटाता-बढ़ाता है… वो ही डालर और रुपयों का अंतर बनाता है… फिर सरकारें उसके अधीन हो जाती हैं… हर दिन एक नया शेयर लाया जाता है… दौलत बढ़ाई जाती है… अडानी अंबानी से आगे निकल जाते हैं… दुनियाभर के लोग अचरज करते रह जाते हैं… फिर एक सुई कहींं से आती है… गुब्बारे में चुभाई जाती है और सारी हवा चंद घंटों में निकल जाती है, लेकिन तब भी अडानी सडक़ पर नहीं आते… सारा देश गर्त में नजर आता है… बैंकें डूबती नजर आती है… जीवन बीमा जैसी कंपनियों का जीवन खतरे में पड़ जाता है… और निवेश करने वाला आम आदमी तो धरती में ही गढ़ जाता है… ऐसा पहले हर्षद मेहता ने भी किया था, लेकिन कड़वा घूट जनता और बैंकों ने पीया था… इतिहास फिर दोहराया जा रहा है… ऐसे ही खेल में सहारा भी बेसहारा हो चुके हैं, लेकिन अडानी के साथ फिलहाल तो सरकार खड़ी है… उन्हें इमानदारी बताने पर अड़ी है… शेयर कारोबारियों के लिए यह मुश्किल घड़ी है… क्योंकि कागजों का बाजार अंगारों पर चलता है जहां विश्वास डिगता है, वहां कागज राख हो जाता है… विपक्षियों को भी मौका मिला है… अडानी की समस्या को सरकार की समस्या बनाएगा जाएगा… अडानी के गिरते शेयर से सरकार के वोटों का प्रतिशत घटाया जाएगा… कौन सच्चा है कौन झूठा है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा…

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    कराची में सुपुर्द-ए-खाक किए जाएंगे परवेज मुशर्रफ, पार्थिव शरीर को आज दुबई से पाकिस्तान लाया जाएगा

    Mon Feb 6 , 2023
    इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ के पार्थिव शरीर को कराची में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा और एक विशेष विमान से देश वापस लाया जाएगा। मुशर्रफ का पार्थिव शरीर सोमवार को दुबई से पाकिस्तान के लिए रवाना होगा। बता दें कि 1999 में कारगिल युद्ध के सूत्रधार मुशर्रफ का लंबी बीमारी के बाद […]
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