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    भाजपा की जीत के शिल्पकार बनेंगे पन्ना प्रमुख

  • January 02, 2023

    • एमपी में पन्ना प्रमुखों से चुनावी रण जीतने की तैयारी, बूथ अध्यक्षों को दी यह बड़ी जिम्मेदारी

    भोपाल। गुजरात चुनाव में मिली ग्रैंड सक्सेस को बीजेपी मध्य प्रदेश में भी दोहराना चाहती है। इसके लिए गुजरात चुनाव मॉडल को प्रदेश में लागू करने की अटकलें भी हैं। गुजरात की जीत में पन्ना प्रमुख को मुख्य हथियार बताया जा रहा है। इसी तर्ज पर बीजेपी पन्ना प्रमुख के सहारे मध्य प्रदेश में 2023 के चुनाव को बढ़े आंकड़े से जीतने में जुट गई है। पार्टी का दावा है कि अब तक चार लाख पन्ना प्रमुख बना लिए हैं। साथ ही बूथ अध्यक्षों को पन्ना प्रमुख बनाने के साथ एप से जोडऩे की जिम्मेदारी दी गई है। बता दें कि पन्ना प्रमुख वह कहा जाता है, जिसके पास वोटर लिस्ट के एक पन्ने की जिम्मेदारी होती है। हर पन्ने पर पांच पन्ना सदस्य होते हैं।
    मध्य प्रदेश में बीजेपी चुनावी तैयारी में जुट गई है। उसका पूरा फोकस पन्ना प्रमुखों पर है। प्रदेश में 64 हजार 100 बूथ पर बीजेपी पूरी तरह डिजिटल हो चुकी है। करीब 13 लाख बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को संगठन एप से जोड़ा गया है। बूथ पर बीजेपी ने एक बूथ अध्यक्ष, महामंत्री और बीएलए की नियुक्ति की है। इसके साथ ही पन्ना प्रमुख और पन्ना समिति भी बनाई, लेकिन उनकी संख्या कम है। अब बीजेपी ने बूथ अध्यक्षों को पन्ना प्रमुख और समिति बनाने और डिजिटल एप से जोडऩे के निर्देश दिए हैं।

    अभी चार लाख पन्ना प्रमुख बने
    मध्य प्रदेश में वोटर लिस्ट में 18 लाख पन्ने हैं, जो बढ़कर 20 लाख के करीब पहुंचने की उम्मीद है। इसको देखते हुए ही मध्य प्रदेश में ही बीजेपी को एक करोड़ से अधिक पन्ना समिति सदस्यों की आवश्यकता होगी। यह एक बड़ा नंबर है, जिसे भाजपा हासिल करना चाहती है। यदि यह सफल हो जाती है तो उसके पास सदस्य के प्रति परिवार तीन वोटर के हिसाब से सीधे सीधे तीन करोड़ वोट होंगे। अभी बीजेपी के चार लाख पन्ना प्रमुख ही बने हैं। इन पन्ना प्रमुख की मदद से ही बीजेपी घर-घर तक पहुंच बनाएगी। गुजरात जीत के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि हम पन्ना प्रमुख से आगे बढ़ कर अब घर घर अभियान पर काम कर रहे हैं। अब भाजपा की तरफ से कोई ना कोई घर-घर तक जाएगा और लोगों से संवाद स्थापित करेगा। बता दें इसमें पन्ना प्रमुख की भूमिका अहम होगी।

    यह है बीजेपी की रणनीति
    बीजेपी की रणनीति पन्ना प्रमुख के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का ना सिर्फ प्रचार-प्रसार बल्कि हितग्राहियों को जोडऩा है। पीएम आवास, स्ट्रीट वेंडर योजना में लोन लेने वाले हितग्राहियों की मैपिंग करेंगे और उनको आईडेंटिफाई करेंगे। और उनको पार्टी की विचारधारा से जोडऩे का काम करेंगे। बीजेपी के बूथ के डिजिटल होने से कार्यकर्ताओं तक एक क्लिक में संगठन के निर्णय और फैसलों की जानकारी पहुंच जाएगी। बूथ का कार्यकर्ता जनता का फीडबैक एप के माध्यम से संगठन तक आसानी से कम समय में पहुंचा सकेगा। जिस पर पार्टी को निर्णय लेने में आसानी होगी। जनता तक पार्टी का मैसेज पहुंचाने में भी यह आसान होगा।

    भाजपा की पन्ना समिति
    चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता सूची के हरेक पेज पर 30 नाम होते हैं। बीजेपी ने एक पेज में शामिल 30 नामों में से पांच लोगों को पार्टी की पेज समिति का सदस्य बना रखे हैं, यानी चुनाव आयोग की सूची में शामिल हर 6वां व्यक्ति बीजेपी पन्ना समिति का सदस्य। हर पन्ना सदस्य के घर में कम से कम तीन सदस्य तो होते ही हैं। कई पन्ना सदस्यों के घरों में 4-5 वोटर भी मौजूद हैं, जिससे उसके वोटर्स की संख्या बढ़ जाएगी। पार्टी नेता इसे मॉडरेट ढंग से जोड़ते हैं, तो भी प्रत्येक पन्ना सदस्य घर के तीन वोट तो जुटाता ही है। पन्ना समिति का एक पन्ना प्रमुख भी है, जो सभी सदस्यों से टच में रहता है। पन्ना प्रमुख की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने 30 वोटर से बात करके उनसे संपर्क करके यह तय करे कि वे सभी मतदान करें और बीजेपी के पक्ष में वोट करें। उत्तर प्रदेश और गुजरात में सफल रहे इस प्रयोग में कोशिश की गई कि समिति में ऐसे लोगों को सदस्य बनाया जाए, जिन्हें केंद्र या राज्य सरकार की योजना का लाभ मिला हो।


    पन्ना समिति क्या करती है
    पन्ना प्रमुख हर वोटर से मिलकर और फोन से संपर्क करता है। जब तक उसके पन्ने का आखरी वोटर मतदान तक नहीं पहुंच जाता है, उसकी जिम्मेदारी खत्म नहीं होती है। चुनाव शुरू होने से पहले और खत्म होने के बाद हर पन्ना प्रमुख रिपोर्ट तैयार करता है। उसके फीडबैक के आधार पर तय होता है कि कितने लोगों ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया। इससे जीत की संभावना का अंदाजा भी लगाया जाता है। इसके अलावा पन्ना समितियों के सदस्य चौक-चौराहों पर होने वाली चर्चाओं में भी भाजपा की रीति-नीति के एम्बेसेडर की तरह काम करते हैं। यह समितियां भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का काम करती है। साथ ही यह भी बताती है कि किस क्षेत्र में और मेहनत करने की जरूरत है। फीडबैक से पता चलता है कि क्षेत्र की जरूरत और माहौल क्या है, उसे देखते हुए भाजपा की रणनीतिक टीमें अपना प्लान आगे बढ़ाती हैं।

    गुजरात में क्या किया
    पूरे गुजरात में भाजपा के 85 लाख पन्ना समिति सदस्य हैं। इनमें भी 82 लाख सत्यापित हैं। इन सदस्यों का नाम, मोबाइल नम्बर, पता, परिवार के सदस्यों का नाम, वोटर आईडी की स्कैन कॉपी, उनके आधार आईडी की कॉपी, उनके फोटो जैसे पूरी डिटेल पार्टी के डेटा सेंटर में है। हाई-टेक टेक्नॉलाजी से भाजपा ने इन सभी पन्ना समिति सदस्यों को डेटा सेंटर से जोड़े रखा। पार्टी का कोई भी नेता महज एक क्लिक से पन्ना समिति सदस्य से बात कर सकता है।

    घर-घर संपर्क करने में कार्यकर्ता अभ्यस्त
    बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि बीजेपी ने बूथों को डिजिटल कर दिया है। बीजेपी का कार्यकर्ता हर चुनाव में सक्रिय रहता है। वह घर-घर तक संपर्क करने में अभ्यस्त है। अब तकनीक के माध्यम से हम अपनी विचारधारा, सरकार की योजनाओं को कार्यकर्ता के माध्यम से लाभार्थियों से भी संपर्क कर पहुंचा रहे हैं। इसमें पर आने वाले समय में रणनीतिक तौर पर चरण बद्ध तरीके से तेजी लाएंगे।

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