भोपाल। परिवहन विभाग ने प्रदेश में यात्री वाहनों में व्हीकल लोकेशन ट्रेकिंग डिवाइस(वीएलटीडी) व पैनिक डिवाइस लगाने के लिए चार कंपनियां तय कर दी हैं। पैनिक बटन व वीएलटीडी को लगवाने में करीब साढ़े छह हजार रुपये का खर्च आएगा। नौ कंपनियां और तय की जा रही हैं, जिन्हें काम मिलने पर स्पर्धा बढ़ सकती है। स्पर्धा बढऩे पर दामों में कमी आ सकती है। प्रदेश में करीब दस लाख वाहनों में इन दोनों डिवाइस को लगाया जाना है। इन डिवाइस के लगने के बाद यात्री वाहन की निगरानी परिवहन विभाग, पुलिस व गाड़ी के मालिक कर सकते हैं।
निर्भया फंड के तहत केंद्र व राज्य सरकार ने परिवहन विभाग को फंड दिया है। 15 करोड़ 40 लाख रुपये की लागत से भोपाल में कंट्रोल कमांड सेंटर बनाया गया है। इस कंट्रोल कमांड सेंटर से यात्री वाहनों की निगरानी की जाएगी। यह बनकर तैयार हो चुका है। महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन डिवाइस को लगाया जा रहा है। एक अगस्त से यात्री वाहनों में वीएलटीडी व पैनिक बटन अनिवार्य कर दिया है। विभाग ने इन्हें लगाने के लिए चार कंपनी तय की हैं। इन कंपनियों को जिला स्तर पर अपने डीलर रखने होंगे। संभाग स्तर पर सर्विस सेंटर बनाने होंगे, ताकि डिवाइस का मेंटेनेंस हो सके। बस, टैक्सी, कैब में इन डिवाइस को लगाया जाना है। दिसंबर 2018 के पहले के वाहनों में यह दोनों डिवाइस लगने हैं। 2018 के बाद खरीदे गए वाहनों में यह डिवाइस कंपनी से लगकर आ रहे हैं। एक्यूट कम्युनिकेशन सर्विस प्राइवेट लिमिटेड, आरडीएम इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड, जीआरएल इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड, इकोगस इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड को डिवाइस लगाने की अनुमति मिली है।
वाहन का लाइव स्टेट्स मिलेगा
वीएलटीडी से यात्री वाहन का लाइव स्टेट्स मिलेगा। वाहन कितनी गति में चल रहा है, कहां रूका और किस रूट पर जा रहा है। बस को जिस रूट पर परमिट जारी किया गया है, यदि वह रास्ता बदलती है तो अलर्ट मिल जाएगा। बस में पैनिक बटन तीन से चार लगेंगे। पैनिक बटन के दबाने पर अलर्ट कंट्रोल रूम पहुंच जाएगा। परिवहन विभाग अपने कंट्रोल कमांड सेंटर का डेटा पुलिस से साझा भी किया जाएगा।
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