नई दिल्ली । पूर्वी लद्दाख में पैन्गोंग झील क्षेत्र के दोनों किनारों से बख्तरबंद, टैंक और पक्के निर्माण हटने के साथ ही अब दोनों देशों के सैनिकों की वापसी शुरू हो गई है। भारत-चीन के बीच समझौते के बाद पीछे हटने की चल रही इस प्रक्रिया की पहली बार सेना की ओर से अधिकृत तस्वीरें और वीडियो जारी करके इसकी पुष्टि की गई है। इसके साथ ही भारत और चीन के सैनिकों ने पैन्गोंग के दक्षिण में कैलाश रेंज से भी पलायन शुरू कर दिया है। यह प्रक्रिया इसलिए तेजी से चल रही है, क्योंकि शुक्रवार तक इसे पूरा करने की तैयारी है।
भारतीय सेना की उत्तरी कमान की ओर से जारी तस्वीरों और वीडियो में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों को उनके टेंट और शिविरों को नष्ट करते हुए और हल्के वाहनों में ले जाते हुए दिखाया गया है। सैनिकों के बड़े समूहों को ‘डी-इंडक्शनिंग’ और सैनिकों और उपकरणों के साथ पीछे की ओर बढ़ते वाहनों को देखा जा सकता है। पैन्गोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट पर बुनियादी ढांचे को तोड़ने के बाद उक्त स्थानों को समतल करने के लिए जेसीबी का उपयोग करते हुए चीनी सैनिक दिखाई दे रहे हैं। दोनों देशों की सहमति से हुए समझौते के अनुसार दोनों पक्षों को सभी तरह के पक्के निर्माण हटाकर वहां की जगह को भी शुक्रवार तक समतल किया जाना है।
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि अभी तक विघटन प्रक्रिया ’सही रास्ते पर’ है। पैन्गोंग झील के दक्षिणी तट पर दोनों देशों के टैंक कई जगहों पर महज 100 मीटर की दूरी पर फायरिंग रेंज में आ गए थे जिसकी वजह से कभी भी टकराव का आशंका बनी रहती थी। अब समझौते के बाद चीन ने मुख्य युद्धक टैंकों को रुतोग सैन्य अड्डे तक खींच लिया गया है। इससे अब भारत-चीन के सैनिकों के टैंकों की दूरी बढ़ गई है। चीन ने कुल मिलाकर लगभग 200 ऐसे वाहनों को वापस ले लिया है। चीन ने गतिरोध के दौरान बहुत सारे बुनियादी ढांचे का विकास किया था, जिन्हें तोड़ दिया गया है। दक्षिण किनारे से बख्तरबंद और मशीनीकृत कॉलम हटने के बाद अब दोनों देशों के सैनिकों को हटाने पर फोकस किया जा रहा है।
भारत और चीन के बीच दक्षिणी किनारे पर तब टकराव बढ़ा था, जब भारतीय सेना ने 29/30 अगस्त की रात ’ऑपरेशन लोपर्ड’ के तहत 76 किमी. क्षेत्र में फैली कैलाश रेंज की महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया था। इसी दौरान 45 साल के इतिहास में पहली बार एलएसी पर हवा में फायरिंग तक हुई थी। समझौते के मुताबिक अब भारत के सैनिकों ने कैलाश रेंज से हटना शुरू कर दिया है। सैनिकों की वापसी फिलहाल गुरुंग और मगर हिल्स से हो रही है, इसके बाद रेचिन ला, रेजांग ला से भी सैनिक हटेंगे। सूत्रों ने कहा कि विघटन प्रक्रिया का मानवरहित हवाई वाहनों और उपग्रहों के माध्यम से सत्यापन किया जा रहा है। दोनों पक्षों की संतुष्टि के लिए पैन्गोंग झील के दोनों किनारों से विघटन प्रक्रिया पूरी होने के 48 घंटे बाद वाहिनी कमांडर स्तर की वार्ता का अगला दौर होगा। इसमें रणनीतिक डेप्सांग प्लेन, गोगरा पोस्ट और हॉट स्प्रिंग क्षेत्र को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
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