नई दिल्ली (New Delhi) । भारतीय कुश्ती महासंघ (Wrestling Federation of India) के प्रमुख और भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh ) के खिलाफ यौन उत्पीड़न (sexual harassment) के आरोपों की जांच कर रही आधिकारिक निरीक्षण समिति के सामने पेश होने वाले कम से कम तीन पहलवानों (wrestlers) ने पैनल की कार्यवाही पर चिंता जताई है।
तीनों पहलवानों ने कहा कि उन्हें अपने उत्पीड़न का “वीडियो या ऑडियो सबूत” देने के लिए कहा गया है। एक ने कहा कि उसे समिति के एक सदस्य द्वारा बताया गया कि बृजभूषण “एक पिता की तरह” हैं और पहलवानों ने उनके व्यवहार को “गलत तरीके से” समझा। बृजभूषण के स्पर्श को “अनुचित स्पर्श” के रूप में समझा गया। एक दूसरे पहलवान ने कहा कि पीड़ितों ने अपने बयान देने के दौरान कमरे में केवल निगरानी समिति की महिला सदस्यों को उपस्थित होने का अनुरोध किया था, जिसे ठुकरा दिया गया।
भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख और भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच कर रही निगरानी समिति की निष्पक्षता पर पहलवानों ने सवाल उठाए हैं। 7 मई को दिल्ली पुलिस मामले में बृजभूषण के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज कर चुकी है। इसमें एक में पोक्सो ऐक्ट के तहत मामला भी दर्ज है। पहलवानों के बृजभूषण पर आरोप हैं कि जांच के बहाने बृजभूषण ने महिला पहलवानों के स्तन और पेट के हिस्सों को गलत तरीके से छुआ।
बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न पर चुप्पी
इस मामले में केंद्रीय खेल मंत्रालय पूर्व मुक्केबाज और वर्ल्ड चैंपियन मैरी कॉम के नेतृत्व में छह सदस्यीय समिति का गठन कर चुका है। जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए पहलवानों ने अपनी पुलिस शिकायतों में यह भी दावा किया है कि गवाही देते समय ऐसे मौके आए जब समिति ने वीडियो रिकॉर्डिंग बंद कर दी। हालांकि समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है, खेल मंत्रालय ने पिछले महीने प्रारंभिक जांच के बाद अपने “प्रमुख निष्कर्षों” को साझा किया था। एक प्रेस बयान में, सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों पर मंत्रालय चुप था, लेकिन डब्ल्यूएफआई के भीतर संरचनात्मक अपर्याप्तताओं की ओर इशारा जरूर किया, जिसमें कानून के अनुसार अनिवार्य आंतरिक शिकायत समिति की अनुपस्थिति भी शामिल थी।
पहलवानों के समिति पर आरोप
तीन पहलवानों में से एक ने कहा कि पहली सुनवाई से आयोजन समिति ने उन्हें अपनी आपबीती सुनाने का ‘आत्मविश्वास’ नहीं दिया। “पहली सुनवाई में ही, कुछ लड़कियां बहुत असहज थीं क्योंकि उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा गया था। तो अगली बार से, हम एक समूह के रूप में शामिल हुए।” दो सुनवाई हुई और कम से कम 12 व्यक्तियों ने समिति को गवाही दी। इनमें कुछ पहलवान भी शामिल थे जिनके बयान मजिस्ट्रेट ने दर्ज किए हैं। दिल्ली पुलिस ने पिछले हफ्ते बृजभूषण सिंह से पूछताछ की थी।
‘एक कान से सुना, दूसरे कान से निकाल दिया’
एक बार सुनवाई के दौरान, एक अन्य पहलवान ने कहा, “जब समिति के सदस्यों को पता चला कि वीडियो रिकॉर्डिंग चालू नहीं थी, तो सिंह द्वारा उसका यौन उत्पीड़न कैसे किया गया, ऐसे में उन्हें फिर से वो बातें दोहराने के लिए कहीं गई”। तीसरे पहलवान ने आरोप लगाया कि उन्होंने कई बार समिति सदस्यों को अपनी दुर्दशा के प्रति असंवेदनशील महसूस किया। “वे (निगरानी समिति) हमें जल्दी निपटाने की कोशिश कर रहे थे। जैसे वे एक कान से हमारी बात सुनने और दूसरे कान से निकाल देना चाहते थे। वे चाहते थे कि हम जल्दी से अपनी बात पूरी कर दें। बयान पूरा होने से पहले ही हमें आगे बढ़ने के लिए कहा जा रहा था। उन्होंने हमारी भावनात्मक स्थिति को समझने की कोशिश नहीं की और हम समिति के सामने बोलने में सहज महसूस नहीं कर रहे थे।”
मांग रहे ऑडियो-वीडियो सबूत
पहलवानों के मुताबिक, कुछ निगरानी समिति के सदस्यों ने भी कथित तौर पर शिकायतकर्ताओं को बताया कि उनके हाथ बंधे हुए थे जब तक कि वे कथित तौर पर यौन उत्पीड़न का सबूत नहीं देते। “उन्होंने हमसे पूछा कि क्या हमारे पास वीडियो या ऑडियो सबूत है,” उन्होंने कहा, ”बिना सबूत हम क्या कर सकते हैं?’ मैंने उन्हें बताया कि यौन उत्पीड़न होने पर कौन सी महिला रिकॉर्ड कर पाएगी। जब आप ऐसा कुछ अनुभव करते हैं तो आप सांस भी नहीं ले सकते।”
पिता समान बृजभूषण, पहलवानों ने गलत समझा
एक दूसरे पहलवान के अनुसार, समिति के सदस्यों में से एक ने “खुले तौर पर कहा कि सिंह एक पिता की तरह थे और उनकी हरकतें पूरी मासूमियत से की गई थीं और हमारे द्वारा गलत समझा गया था।” सुनवाई के दौरान, एक तीसरे पहलवान ने कहा, समिति के एक सदस्य ने पीड़ितों में से एक को “प्रशिक्षण पर लौटने के लिए” कहा कि समिति के सामने पेश होने का “कोई मतलब नहीं था”।
समिति के सदस्यों में असंवेदनशीलता
यह भी पता चला है कि सुनवाई के दौरान समिति के सदस्यों में से एक ने जूम पर भाग लिया। पहलवानों के आरोप हैं कि “यह महिला पहलवानों से संबंधित एक संवेदनशील मुद्दा था लेकिन यह सदस्य कमरे में मौजूद नहीं था। एक पहलवान ने कहा, हमें बताया गया कि यह सदस्य जिम में था और इसलिए जूम के माध्यम से शामिल हुआ।
समिति में कौन-कौन
मैरी कॉम के अलावा, समिति में SAI की पूर्व कार्यकारी निदेशक (टीम विंग) राधिका श्रीमन, खेल मंत्रालय की लक्ष्य ओलंपिक पोडियम योजना के पूर्व सीईओ राजेश राजगोपालन, मिशन ओलंपिक सेल की सदस्य और पूर्व शटलर तृप्ति मुरुगुंडे और पहलवान ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त और विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता बबीता फोगट शामिल हैं।
पहलवानों के आरोपों पर राधिका श्रीमन
श्रीमन ने तीनों पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि, उन्होंने दो पहलवानों की पुलिस शिकायत का खंडन किया कि कभी-कभी वीडियो रिकॉर्डिंग बंद कर दी जाती थी। द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए श्रीमन ने कहा, “सब कुछ वीडियो-रिकॉर्डेड था और यह मंत्रालय के पास है। इसलिए यहां वहां कोई शब्द नहीं बदला जा सकता है। वीडियो रिकॉर्डिंग के बाद उसका ट्रांसक्रिप्शन भी किया गया। जो लिखा गया था वह रिपोर्ट के अनुलग्नक में है। उन्होंने कहा कि वीडियो रिकॉर्डिंग तभी रोकी गई जब “चाय परोसी जा रही थी या लंच के दौरान।”
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