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    पंडित जी का ढाबा और मालिक मुसलमान, योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में गिनाए ये नाम

  • July 26, 2024

    नई दिल्ली: कांवड़ रूट पर नेमप्लेट मामले में योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कुछ ऐसे नाम गिनाए हैं, जिसमें दुकान का नाम तो ‘पंडित जी का ढाबा’ है लेकिन उसका मालिक मुसलमान है. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में अपनी दलीलों के समर्थन में कावंड़ मार्ग रूट के कुछ खाने पीने की दुकानों के फोटोग्राफ भी संलग्न किया है. मसलन ‘राजा राम भोज फैमिली टूरिस्ट ढाबा’ के नाम से ढाबा चलाने वाले दुकानदार का नाम वसीम है. ‘राजस्थानी खालसा ढाबे’ के मालिक का नाम फुरकान है. ‘पंडित जी वैष्णो ढाबे’ के मालिक सनव्वर राठौड़ हैं.

    यूपी सरकार का कहना है कि कावंड़ रूट पर खाने पीने को लेकर गलतफहमी पहले भी झगड़े और तनाव की वजह बनती रही है. ऐसी कोई अप्रिय स्थिति न बने, नंगे पैर पवित्र जल ले जा रहे करोड़ो कावंड़ियों की धार्मिक भावना गलती से भी आहत न हो इसलिए दुकान के बाहर नाम लिखने के निर्देश जारी किए गए थे. कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में योगी सरकार ने कहा कि कानून व्यवस्था के लिए एहतियाती कदम उठाया. अनुच्छेद 71 के तहत सौहार्द कायम रखने के लिए यह फैसला लिया गया.


    यूपी सरकार ने नेम प्लेट आदेश के खिलाफ दायर याचिका का विरोध किया और अदालत से याचिकाओं को खारिज करने की अपील की. दरअसल, पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी, जिसमें कहा गया था कि कांवड़ रूट की दुकानों पर दुकानदारों को उसका नाम और पहचान बताना अनिवार्य होगा. कोर्ट ने अंतरिम आदेश में इस पर रोक लगा दी थी और यूपी, उत्तराखंड और एमपी सरकार को नोटिस जारी किया था. दरअसल, सबसे पहले यह मामला मुजफ्फरनगर से शुरू हुआ था, योगी सरकार के आदेश के बाद यहां का नियम पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया.

    इस आदेश के खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नामक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर 22 जुलाई को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से शुक्रवार (26 जुलाई) तक जवाब मांगा था और राज्यों के जवाब देने तक इस आदेश पर रोक लगा दी थी. नेम प्लेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था. इस पर जवाब देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा, यह फैसला सौहार्द और शांति बनाए रखने के लिए लिया गया था. गलती से भी कांवड़ियों की धार्मिक भावनाएं आहत न हो और शांति सुनिश्चित की जा सके.

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