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बचपन के दिन याद कर भावुक हुए पंडित धीरेंद्र शास्त्री, मंच से सुनाई अपनी गरीबी की कहानी

  • March 29, 2025

    मेरठ। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर (Bageshwar Dham Peethadheeswar) आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Acharya Dhirendra Krishna Shastri) मेरठ के जागृति विहार एक्सटेंशन में श्री हनुमत कथा (Shri Hanuman Katha) में अपने बचपन के दिनों को याद कर भावुक हो गए। उन्होंने मंच से अपने संघर्षों के दिनों के बारे में बताया तो श्रद्धालुओं की आंखें भी नम हो गईं। धीरेंद्र शास्त्री ने मंच से अपनी गरीबी और संघर्षों के दिनों से जुड़ी कई घटनाओं के बारे में बताया। कहा कि एक समय हमारे परिवार की ऐसी स्थिति थी कि हमें कोई निमंत्रण नहीं देता था क्योंकि वह सोचते थे कि जब यह फटे कपड़े में आएंगे और हमारी बेइज्जती होगी। हमारे गांव का सरपंच तक हमारी बात नहीं सुनता था। गांव में कोई हमें पढ़ाई के लिए एक हजार रुपये उधार भी नहीं देता था, क्योंकि हमारी उन्हें वापस लौटाने की हैसियत नहीं थी, लेकिन आज बालाजी में हमें इस काबिल बना दिया है। आज पिताजी के नाम से ही सब लोग अपने काम निकालते हैं। हम नहीं चाहते कि बालाजी का कोई भी भक्त जो हमने देखा है, वह देखे।


    धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि परमात्मा अगर कृपा करेंगे तो हम ऐसा प्रण लेंगे कि किसी भी भाई को अपनी बहन की शादी के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। बहुत से लोग कहते हैं कि बागेश्वर बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बड़ा नाम है, वो हेलिकॉप्टर, हवाई जहाज और चार्टर प्लेन से घूमते हैं। बाबा देश-विदेशों में जाने जाते हैं, लेकिन इसके पीछे भी मेरा लंबा संघर्ष रहा है।

    मां से न मिल पाता हूं, न सेवा कर पाता हूं
    धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि मां और पिताजी को न कुछ दे पाता हूं न उनकी सेवा कर पाता हूं। क्योंकि हिन्दू राष्ट्र के लिए कभी पदयात्रा तो कभी दूसरे सेवा कार्यों में लगा रहता हूं। यात्रा, कथा, दरबार इन्हीं में व्यस्त रहता हूं। मां से मिल भी नहीं पाता। एक संतुष्टि यह है कि मां से आकर जब कोई कहता है कि ये तुम्हारा बेटा है, धन्य है ऐसी मां जिसने इस बेटे को जन्म दिया तो बड़ा सुकून मिलता है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वह भी कुछ ऐसा करें कि उनकी पहचान मां-बाप से नहीं बल्कि जब मां-बाप निकलें तो लोग कहें कि देखो उनके माता-पिता जा रहे हैं। कार्यक्रमों में इंतजार हो कि फलां के मां-बाप नहीं आए।

    काम फंसा होता है वे लोग बुलाते हैं
    धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि उनका बड़े लोगों से मिलने का उद्देश्य प्रसिद्धि पाना नहीं है, बल्कि उनसे मिलने वाले सहयोग से गरीब बेटियों की धूमधाम से शादी कराना है। बड़े लोग उन्हीं को सम्मान देते हैं जिनसे उन्हें कुछ मिलने की संभावना होती है। उनका काम फंसा होता है तो वो बुलाते हैं। मैं तो भगवान से प्रार्थना करता हूं कि जिस दुख से मेरा सामना हुआ, उससे किसी दूसरे का सामना न हो। आज देश के टॉप मोस्ट राजनेता और नीति निर्धारण भी उनसे राय लेते हैं। यह सिर्फ बजरंगबली की कृपा है।

    गरीब तो सिर्फ ताली बजाने के लिए होते हैं
    उन्होंने बताया कि उनकी मां हमेशा उन्हें भगवान राम को न छोड़ने की सलाह देती थीं, और यह भरोसा दिलाती थीं कि एक दिन उनके अच्छे दिन आएंगे। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि दुनिया में इज्जत वही पाते हैं जो अमीर या फेमस होते हैं, लेकिन साधारण और गरीब लोगों को कोई नहीं पूछता। गरीब तो सिर्फ ताली बजाने के लिए होते हैं।

    मुझे कौन पूछता था तेरी बंदगी से पहले
    धीरेंद्र शास्त्री ने एक शायरी भी सुनाई… मुझे कौन पूछता था तेरी बंदगी से पहले, मैं खुद को ढूंढता था इस जिंदगी से पहले। इस शायरी के जरिए धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि वह अपने जीवन के संघर्षों को किस तरह से महसूस करते हैं। किस तरह उन्होंने अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष किया। उनकी इन बातों को सुनकर श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं।

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