उज्जैन। पंचक्रोशी यात्रा का शुभारंभ कल 25 अप्रैल से होना है लेकिन इसके दो दिन पहले से ही सैकड़ों श्रद्धालु पड़ावों पर आधी अधूरी व्यवस्थाओं के बीच यात्रा पर निकल पड़े हैं। आज सुबह भी सैकड़ों यात्री पंचक्रोशी के लिए रवाना हुए। स्टेशन परिसर में बीती रात बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने विश्राम किया। परंपरागत पंचक्रोशी यात्रा की विधिवत शुरुआत हर साल वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी से होती है। यह तिथि कल 25 अप्रैल को आ रही है। यही कारण है कि जिला प्रशासन ने पंचक्रोशी यात्रा मार्ग और पड़ावों पर तैयारियाँ इसी तिथि के हिसाब से कुछ दिन पहले ही शुरु की है।
अग्रिबाण ने अपने शुक्रवार के अंक में खबर का प्रकाशन कर चेताया था कि हर साल की तरह इस साल भी पंचक्रोशी यात्रा तय तिथि से पहले यात्रा शुरु कर सकते हैं। ऐसे में पड़ावों पर यात्रियों के लिए की जा रही व्यवस्थाएँ अगर समय से पहले पूरी नहीं हुई तो श्रद्धालुओं को परेशानी आ सकती है। इधर दूसरी ओर पड़ावों पर कल शाम तक भी श्रद्धालुओं के लिए टेन्ट लगाने, पानी की व्यवस्था करने, साफ-सफाई करने जैसे काम चल रहे थे। इसी बीच कल दोपहर में ही कुछ यात्रियों ने पंचक्रोशी यात्रा शुरु कर दी थी। कल शाम तक तो सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु नगर प्रवेश कर गए थे। रामघाट के साथ-साथ रेलवे स्टेशन के परिसर एवं बाहर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु रात्रि विश्राम करते नजर आए। यही श्रद्धालु आज सुबह रामघाट पहुँचे तथा यहाँ शिप्रा स्नान करने के बाद वे सीधे पटनी बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुँचे। यहाँ भगवान का पूजन किया और बल लेकर गोपाल मंदिर होते हुए सतीगेट मार्ग से निजातपुरा होकर कोयला फाटक स्थित प्रवेश द्वार की ओर बढ़ गए थे। कल जो लोग रवाना हो गए थे वे आज सुबह पिंगलेश्वर पड़ाव से आगे की ओर रवाना हो गए थे।
एक नजर पंचक्रोशी यात्रा मार्ग और पड़ावों पर
नागचंद्रेश्वर मंदिर से 12 किलोमीटर की दूरी पर पहला पड़ाव पिंग्लेश्वर आता है। यहाँ से 23 किलोमीटर दूर दूसरा पड़ाव कायावरोहरणेश्वर आता है। यहाँ से 23 किलोमीटर दूर उपपड़ाव नलवा आता है। नलवा से 6 किलोमीटर दूर बिलकेश्वर पड़ाव होते हुए अंबोदिया पड़ाव आता है। फिर यहाँ से 21 किलोमीटर चलने पर कालियादेह महल उपपड़ाव तक यात्री पहुँचते हैं। कालियादेह महल से दुर्देश्वर पड़ाव जैथल तक 7 किलोमीटर दूरी तय करने के बाद आता है। दुर्देश्वर से पिंग्लेश्वर होते हुए उंडासा तक 16 किलोमीटर की यात्रा और करनी होती है। उंडासा उपपड़ाव से शिप्रा घाट कर्कराज मंदिर रेत मैदान तक 12 किलोमीटर की यात्रा की जाती है।
बहता पानी रोकने के उपाय नहीं
पंचक्रोशी मार्ग में यात्रियों की सुविधा के लिए पीएचई के ग्रामीण यांत्रिकी विभाग ने मार्ग में जगह-जगह फव्वारानुमा नल लगाए हैं। इनसे 24 घंटे पानी बह रहा है। इन्हें बंद करने के इंतजाम नहीं किए गए हैं। कई जगह पड़ावों पर अभी भी शौचालय के लिए खुले में शीट लगी नजर आ रही है। इसके चारों ओर कवर करने के इंतजाम नहीं हो पाए हैं। पड़ावों पर यात्रियों की सुविधा के लिए टेन्ट लगा दिए गए हैं। कल शाम तक यह काम चलता रहा। टेन्ट में ही खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए उचित मूल्य की दुकानें भी बना दी गई है लेकिन यहाँ कल शाम तक राशन का स्टाक नहीं पहुँचा था।
5 दिन में पूरी करनी होती है 118 किलोमीटर की यात्रा
वर्षों से चली आ रही पंचक्रोशी यात्रा की परंपरा आज भी ग्रामीण श्रद्धालुओं द्वारा पूरी आस्था और विश्वास के साथ की जाती है। हर साल वैशाख मास की दशमी से यह यात्रा शुरु होती है और इस दौरान भीषण गर्मी रहती है। आस्थावान इसकी भी परवाह नहीं करते हैं और 118 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 5 पड़ाव और 2 उपपड़ाव से होकर गुजरते हैं। पटनी बाजार नागचंद्रेश्वर मंदिर से बल लेकर यह यात्रा शुरु होती है और यात्रा का 5 दिन बाद समापन भी इसी मंदिर में बल लौटाकर श्रद्धालु करते हैं।
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