कोलकाता: पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव में हिंसा को लेकर राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा के खिलाफ हत्या का मामला शुरू करने के लिए थाने में शिकायत दर्ज कराई गयी है. कांग्रेस नेता और वकील वकील कौस्तव बागची ने टीटागढ़ पुलिस स्टेशन और बैरकपुर पुलिस आयुक्त को मेल के माध्यम से पत्र देकर यह अर्जी की है. वकील कौस्थव बागची ने दावा किया कि पंचायत चुनावों में हिंसा और अब तक लगभग 14 मौत हुई है और यह सब कमिश्नर की वजह से हुआ है. इस बीच, भाजपा ने राज्य चुनाव आयोग कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया.
राज्य चुनाव आयोग ने कुछ बूथों पर तैनात किये गये केंद्रीय बलों का हिसाब मांगा है. शनिवार को करीब साढ़े चार घंटे तक चले पंचायत चुनाव के बाद प्रदेश के जिला प्रशासकों को पत्र भेजकर इसका हिसाब मांगा गया. इस बीच बीएसएफ के आईजी शनिवार को राज्य चुनाव आयोग कार्यालय पहुंचे और उन्होंने राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा से मुलाकात की और उन्हें आयोग को केंद्रीय वाहिनी को लेकर सूची सौंपी.
आयोग ने बूथों की सूची दो भागों में भेजने को कहा था. सभी बूथ जो संवेदनशील नहीं हैं और जो संवेदनशील हैं, उनकी अलग-अलग सूची तैयार कर आयोग को भेजने को कहा गया है. शनिवार सुबह 7 बजे से राज्य भर में पंचायत मतदान शुरू हो गया. वहीं सुबह से ही जिले-जिले से हिंसा की शिकायतें आनी शुरू हो गई हैं. गोलीबारी, बमबारी, मतपेटियों को लूटना, मतपत्रों को जलाना जैसी घटनाएं हुई हैं. साढ़े ग्यारह बजे तक आयोग का आदेश जिलाधिकारियों के पास चला गया.
सेंट्रल फोर्स की तैनाती पर घिरा चुनाव आयोग
राज्य चुनाव आयोग ने उनसे कहा, ”हम जानते हैं कि आप बहुत व्यस्त हैं. गोलीबारी और संबंधित शिकायतों का जिला-दर-जिला निपटान करना होगा. फिर भी, मैं आपका समय ले रहा हूं. हमें अब एक जानकारी की आवश्यकता है.’ उन्होंने कहा कि हमें सभी जिलों के किन-किन बूथों पर तैनात केंद्रीय बलों का हिसाब चाहिए. कृपया हमें उनकी एक सूची भेजें.”
लेकिन इस सूची में बूथों को संवेदनशील और गैर-संवेदनशील श्रेणियों में विभाजित करने के लिए कहा गया है. साथ ही बताया गया है कि बूथ के पीछे कितने केंद्रीय बल के जवान तैनात हैं, इसका विस्तृत ब्योरा देने की जरूरत नहीं है.
बीएसएफ के आईजी ने की मुलाकात
आयोग ने पहले बताया था कि शनिवार तक केंद्रीय बलों की कुल 650 कंपनियां राज्य में आ चुकी हैं. हालांकि, कलकत्ता हाई कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से राज्य में पंचायत चुनावों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय बलों की 822 कंपनियां मांगी थीं.
नतीजतन, आंकड़े के मुताबिक राज्य के सभी मतदान केंद्रों पर प्रस्तावित आधा सेक्शन केंद्रीय बल उपलब्ध कराना संभव नहीं हो सका. हालांकि राज्य ने जो सशस्त्र पुलिस उपलब्ध कराने का वादा किया था, उसे मौके पर तैनात कर दिया गया है, लेकिन विपक्ष ने आरोप लगाया कि विभिन्न जिलों में मतदान केंद्रों पर अशांति के दौरान सशस्त्र पुलिस कर्मियों को मूक दर्शक के रूप में देखा गया.
राज्य में वोटिंग की इस स्थिति के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय शनिवार सुबह 11 बजे तक राज्य चुनाव आयोग से जानना चाहता है कि केंद्रीय बलों की तैनाती किस तरह की गई है? ये आंकड़े केंद्रीय बल तैनाती समन्वयकों के माध्यम से आयोग से मांगे गए हैं। इसके बाद आयोग ने निर्देश जारी कर जिलाधिकारियों से यह जानकारी और दस्तावेज मांगे.
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