भोपाल। नगरीय प्रशासन विभाग के बाद अब पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और राजस्व विभाग ने भी सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला देते हुए अफसरों को कार्यवाही के निर्देश दिए हैं जिसमें उच्च न्यायालय 6 माह से ज्यादा समय से स्टे लगाया हुआ है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला लोकायुक्त जांच प्रकरणों के लिए दिया गया है लेकिन साथ में भेजे गए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पढ़ें तो उसकी व्यापकता काफी ज्यादा है। उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए दिए गए स्टे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर स्टे की अवधि 6 माह पूरी हो गई है तो वह स्वत: समाप्त हो जाएगा, अगर उच्च न्यायालय ने इसे आगे नहीं बढ़ाया है।
संचालनालय से जारी किया पत्र
संचालक पंचायत राज संचालनालय आलोक कुमार सिंह ने जिपं सीईओ को लिखे पत्र में बताया है कि पंचायत राज संचालनालय से संबंधित ऐसे लोकायुक्त जांच प्रकरण जिनमें अनावेदकों द्वारा उच्च न्यायालय अथवा स्थानीय न्यायालय से स्थगन लिया गया है, इन प्रकरणों में वसूली एवं विभागीय कार्यवाही तथा अन्य आवश्यक कार्यवाहियां लंबित हो रही हैं। इससे ऐसे जांच प्रकरण लंबे समय से लोकायुक्त कार्यालय में विलंबित हो रहे हैं तथा इन प्रकरणों में अधिरोपित वसूली योग्य राशि शासन के प्राप्त नहीं हो पा रही है।
6 माह से ज्यादा स्टे वाले प्रकरण तत्काल रिक्त कराएं
संचालनालय से बताया गया है कि शासन का काफी पैसा स्थगन के कारण रुका हुआ है तथा निर्माण कार्य भी प्रभावित हो रहा है। इन सभी पर सुप्रीम कोर्ट के 28 मार्च 2018 के संबंधित निर्णय के पैरा 35 के अनुक्रम में स्थगन प्राप्त मामलों में उनके प्रभारी अधिकारियों को निर्देशित किया जाए। इन्हें संबंधित महाधिवक्ता से संपर्क कर स्थगन तत्काल रिक्त कराने की कार्यवाही एक सप्ताह में की जाए। यह भी कहा गया है कि आगामी सप्ताहों लोकायुक्त कार्यालय में प्रचलित जांच प्रकरण में कोई स्थगन लंबित न रह जाए।
बड़े पैमाने पर है मामले
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में धारा 40 और धारा 59 के गबन से संबंधित काफी संख्या में मामले ऐसे हैं जिस पर संबंधित दोषियों ने उच्च न्यायालय अथवा स्थानीय न्यायालय से स्थगन ले रखा है। इस वजह से राशि की वसूली तो लंबित है ही साथ ही निर्माण कार्य भी प्रभावित हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद अब वसूली तो हो ही सकेगी और काम भी शुरू हो सकेंगे। सरकारी निर्माण में भी स्टेइस तरह से निर्माण विभागों में भी काफी संख्या में ऐसे काम है जो न्यायालय के स्टे के कारण रुके हुए हैं और स्टे को 6 माह से ज्यादा का समय हो चुका है। अब ऐसे काम भी प्रारंभ कराए जा सकेंगे।
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