सीहोर। पंचकल्याणक क्या होता है, यह पत्थर (पाषाण) को भगवान बनाने की विधि है। तीर्थंकर बनने की पांच घटनाएं होती हैं। गर्भ, जन्म, वैराग्य, केवल ज्ञान और मोक्ष। पंचकल्याणक के दौरान एक-एक घटना के संदर्भ में अनुष्ठान होता है। तीर्थंकर के गर्भधारण करने के 6 माह से देवता रत्नों की वर्षा करने लगते हैं। उक्त विचार शहर के बाल विहार मैदान में शनिवार से आरंभ हुए 1008 मज्जिनेंद्र पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महा महोत्सव एवं विश्व शान्ति महायज्ञ में मुनिश्री संस्कार सागर महाराज ने कहा पंचकल्याणक क्यों होते है, पत्थर से बनी प्रतिमाएं निर्जीव होती हैं। पहले अनुष्ठान के साथ ही उन्हें जीव मान लिया जाता है। संपूर्ण अनुष्ठान होने के बाद ही मूर्तियां मंदिर में विराजमान करके पूजन अर्चना की जा सकी है। इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रवक्ता विमल जैन ने बताया कि आज से प्रारंभ हुए पंच कल्याणक कार्यक्रम की सुबह से ही विधि विधान से पूजन विधि प्रारंभ हो गई।
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