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    इंडोनेशिया में सोने के भाव बिक रहा पाम-ऑयल, जानिए 1 लीटर की कीमत

  • April 09, 2022

    नई दिल्ली। रूस यूक्रेन का युद्ध (war of russia ukraine) पूरी दुनिया के मुसीबत बनता जा रहा है। एक तरफ जहां पेट्रोल डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं तो वही अब रिफाइंड ऑयल (refined oil) भी सोने के भाव बिक रहा है।
    बता दें कि पिछले तीन महीनों में सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल और पाम तेल की औसत खुदरा कीमतों में तेज बढ़ोतरी देखने को मिली है पिछले तीन महीनों में सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल और पाम तेल की औसत खुदरा कीमतों में तेज बढ़ोतरी देखने को मिली है तो वही अब रूस यूक्रेन युद्ध का असर दिखाई देने लगा है। किसी भी देश के लिए यह दुर्लभ है कि किसी उत्पाद का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक एक ही उत्पाद की घरेलू कमी का अनुभव कर रहा हो और इतना अधिक कि उसकी सरकार शिपमेंट पर मूल्य नियंत्रण और प्रतिबंधों को लागू करने के लिए मजबूर है।



    बताया जा रहा है कि अब स्थिति ऐसी है कि इंडोनेशिया (Indonesia) में पाम-ऑयल की कीमतें (Palm Oil Price) आसमान छू रही हैं। यह अब सोने की तरह कीमती हो गया है। मार्च के महीने में यहां एक लीटर ब्रांडेड रिफाइंड पाम-ऑयल 22,000 रुपए में मिल रहा था। बीते साल मार्च माह में इसकी कीमत 14,000 रुपए थी। अब इंडोनेशिया में बढ़ी पाम-ऑयल की ऊँची कीमत का असर पूरी दुनिया पर प्रभाव दिखा रहा है।

    इंडोनेशिया (Indonesia) दुनिया का सबसे अधिक सीपीओ का निर्यातक (Biggest Exporter of CPO) है। वनस्पति तेलों (Vegetable Oils) पर भी इस बात का प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही, आम आदमी पर भी क्योंकि वनस्पति तेल हर घर के खान-पान का अभिन्न हिस्सा हैं। इसीलिए इंडोनेशिया के पाम-ऑयल संकट (Indonesia Palm Oil Crisis) से जुड़े पहलुओं को जानने की दिलचस्पी भी हर किसी की हो सकती है। लेकिन पाम तेल की तुलना में इंडोनेशिया की कहानी ठीक यही है। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए द्वीपसमूह के पाम तेल उत्पादन का अनुमान 45.5 मिलियन टन (एमटी) लगाया है। यह कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग 60% है और अगले बड़े उत्पादक: मलेशिया (18।7 मिलियन टन) से बहुत आगे है। यह 29 मिलियन टन के साथ कमोडिटी का दुनिया का नंबर 1 निर्यातक भी है, इसके बाद मलेशिया (16।22 मिलियन टन) का स्थान है।

    इंडोनेशिया (Indonesia) में उत्पन्न हुई इस परिस्थिति का असर भारत पर भी पड़ रहा है। क्योंकि भारत विश्व में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक (India Biggest Importer of Edible Oil) है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने जनवरी में 12.70 लाख टन खाद्य-तेल का आयात किया। यह बीते साल जनवरी के 10.96 लाख टन की तुलना में 16% ज्यादा रहा। ध्यान देनी वाली बात यह है कि भारत के कुल खाद्य तेल आयात में 60% हिस्सेदारी पाम-ऑयल की होती है।

    महंगाई के साप्ताहिक, मासिक आंकड़े बताते हैं कि इंडोनेशिया के पाम-ऑयल संकट (Indonesia Palm-oil Crisis) के वजह से भारत में भी खाद्य तेल की कीमतों में 20-25% तक इजाफा हुआ है। खाद्य तेल की कीमतों को काबू में लाने के लिए सरकार कई वैकल्पिक इंतजाम कर रही हैं। सरकार ने पाम-ऑयल के आयात पर सीमा शुल्क कम किया है।

    इससे पहले रिफाइंड पाम ऑयल पर यह शुल्क 19.25% था। अब 13.75%% लग रहा है। साथ ही सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल का आयात बढ़ाया है। जनवरी में ही 3.91 लाख टन सोयाबीन का तेल आयात किया गया, जबकि बीते साल जनवरी में 88,667 टन सोयाबीन तेल ही आयात किया गया था। वहीं, सूरजमुखी का तेल भी जनवरी में 3.07 लाख टन मंगवाया गया। यह बीते साल की जनवरी में 2.05 लाख टन था।

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