इस्लामाबाद (Islamabad)। भयानक नकदी संकट (Pakistan Economic Condition) से जूझ रहे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार (Shahbaz Sharif government) धीरे-धीरे कंगाल होने की स्थिति में पहुंचती जा रही है। कमर तोड़ महंगाई ने पाकिस्तान की हालात ऐसी कर दी कि लोगों को दो वक्त की रोटी खाने के लिए भी लाले पड़ गए हैं। यहां के ज्यादातर उद्योग पूरी तरह से ठप पड़ गए हैं। अब तो खबर आ रहीं है कि पाकिस्तान का रेलवे विभाग भी कंगाल हो चला है। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में ही उसका शुद्ध घाटा 24 अरब रूपये के पार हो चुका है। हालांकि सरकारी आंकड़े में यह घाटा तीन अरब ही बताया जा रहा है। आमदनी और खर्चे के अंतर की बात करें तो इसका अंतर करीब 50 फीसदी का है।
पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के कानून और न्याय राज्यमंत्री शहादत अवान ने मंगलवार को संसद के ऊपरी सदन सीनेट को बताया कि पाकिस्तान रेलवे ने 52.99 अरब रुपये के खर्च के मुकाबले चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में संचालन के माध्यम से सिर्फ 28.263 अरब रुपये ही कमाए हैं। यहीं कारण है कि पाक सरकार अब रोजाना देशवासियों पर ही पाक सरकार ने नया जुल्म ढाना (oppression on the countrymen) शुरू कर दिया है। पहले से ही आसमान छूती महंगाई,बिजली-पानी, एलपीजी गैस, पेट्रोल, खाद्यान्न और दवा के संकट से हलकान पाकिस्तानियों पर सरकार ने अब नया बोझ डालने की तैयारी कर ली है।
वित्त मंत्री ने नए टैक्स का ऐलान IMF द्वारा लोन की किश्तें जारी करने पर कोई फैसला नहीं लिए जाने और आईएमएफ की टीम के लौटने के फौरन बाद किया। इससे पहले दस दिनों तक आईएमएफ की टीम प्रधानमंत्री शरीफ के अनुरोध पर बेलआउट पैकेज देने के लिए आर्थिक मसौदे पर पाकिस्तानी पक्ष से बातचीत कर रही थी।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की सभी सिफारिशें मानने को बाध्य पाकिस्तान ने बिजली दरों में भी बढ़ोत्तरी का फैसला किया है। इससे पहले भी पिछले महीने पाकिस्तान में बिजली की दरों में इजाफा किया जा चुका है।
पाकिस्तान 2019 में इमरान खान सरकार के दौरान आईएमएफ के छह अरब डॉलर कार्यक्रम का हिस्सा बना था, जिसे पिछले साल बढ़ाकर सात अरब डॉलर कर दिया गया था। कार्यक्रम की नौवीं समीक्षा 1.18 अरब डॉलर जारी करने के लिए आईएमएफ अधिकारियों और पाकिस्तान सरकार के बीच चल रही थी, जो फेल हो गई है।
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