जिनेवा । पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं की दुर्दशा का विरोध करते हुए प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 44वें सत्र के आयोजन के दौरान किया गया, जिसमें कि प्रदर्शनकारियों ने इमरान खान सरकार का समर्थन प्राप्त इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथों हिंदुओं के उत्पीड़न का जमकर विरोध किया।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पाकिस्तान में हिंदुओं को बड़े पैमाने पर दरकिनार किया जा रहा है। उनका उत्पीड़न हो रहा है। उनसे भेदभाव किया जा रहा है। धार्मिक आधार पर उनके खिलाफ हिंसा बढ़ती ही जा रही है। हिंदुओं का अपहरण, हमले, यौन अपराध और हत्याएं आम बात है। हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाकर इस अल्पसंख्यक समुदाय को और सीमित और संकुचित किया जा रहा है। पाकिस्तानी सांसद और नेता खुलेआम हिंदुओं के खिलाफ नफरत भरे संदेश जारी करते हैं।
प्रदर्शनकारियों का कहना यह भी है कि पाकिस्तानी कट्टरपंथी इस्लामी नेता वहां हिंदुओं के मंदिरों के निर्माण के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान के इस्लामिक देश होने के नाते वहां किसी मंदिर के होने की गुंजाइश नहीं है। हाल ही में सिंध प्रांत में इस्लामिक भीड़ ने हिंदुओं के एक मंदिर पर भीषण हमला कर उसे तहस-नहस कर दिया। ऐसे हमले इस्लामिक कट्टरपंथियों के इशारे पर किए जाते हैं जिन्हें इमरान खान सरकार का समर्थन हासिल है।
बतादें कि 1947 में हिंदुओं की जनसंख्या वहां 16 फीसदी थी लेकिन भारत-पाक बंटवारे के बाद यह गिरकर 1.3 फीसदी पर आ गई। जब 1951 में पाकिस्तान में पहली बार जनगणना हुई तो हिंदुओं की संख्या 1.5 से 0.2 फीसदी थी। हालांकि हिंदुओं का जीवन नए बने पाकिस्तान में बहुत कठिन शुरू से ही रहा है, यहां रहने वालों पर धर्म परिवर्तन करने का भारी दबाव लगातार बना रहता है, यही कारण है कि पाकिस्तान में मानवाधिकार की हालत भी कोई बहुत अच्छी नहीं है। हिन्दुओं एवं अन्य अल्पसंख्यकों की महिलाओं के अपहरण एवं इस समुदाए के लोगों की हत्या की खबर यहां आए दिन आती रहती हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved