इस्लामाबाद । पाकिस्तान (Pakistan) के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) गुलजार अहमद (Gulzar Ahmed) ने इमरान सरकार (Imran Sarkar) को असांविधानिक व्यवस्था और सुशासन के परिप्रेक्ष्य में इस्लाम को स्थान देने की कोशिश करने के लिए फटकार लगाई है।
उन्होंने कहा कि अदालत में छोटे मुद्दों से संबंधित याचिकाओं की भरमार लगी है जबकि नागरिकों के अधिकारों को लागू करने की क्षमता नहीं बढ़ रही है। उन्होंने कहा, धर्म के प्रति वफादारी विकास में बाधा डालती है।
पाक के मुख्य न्यायाधीश ने खेद जताते हुए कहा, यही कारण है कि असहाय लोगों को कई तरह की दिक्कतें हो रही हैं और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। वे एक पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम में बोल रहे थे।
उन्होंने जनता की चिंताओं को सही भावना से नहीं संभालने के लिए सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सड़कतों की सफाई जैसे छोटे-छोटे मामले, कूड़ा उठाने, पार्कों और खुले स्थानों को बनाए रखने जैसे मामलों को कानून की अदालत में लाया जा रहा है। जबकि ये सब सरकार के प्रमुख और बुनियादी कार्य हैं। लेकिन इन बुनियादी मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
न्यायाधीश गुलजार बोले, संविधान को सार्वजनिक जीवन के सभी पहलुओं पर लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से उसके आसपास की स्थिति पर ध्यान देने का आग्रह किया। मुख्य न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति खोसा ने देश के सामने आने वाले खास मुद्दों को सूचीबद्ध किया और कहा कि जब तक इनकी पहचान कर समाधान नहीं खोजा जाता तब तक देश में असुरक्षा बनी रहेगी। उन्होंने कहा, यह तय करना होगा कि इस्लामी शासन में सरकार की क्या भूमिका थी और उन्हें सांविधानिक व्यवस्था और शासन के प्रतिमान में इस्लाम को कहां रखना था।
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