लाहौर: 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद से आज भी कई ऐसे परिवार हैं जिनके सदस्य बिछड़ गए थे. कुछ लोग पाकिस्तान भाग गए थे तो कुछ भारत में ही रह गए थे. हजारों महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया और दो नए राष्ट्रों के बीच शरणार्थियों को ले जाने वाली ट्रेनें लाशों से भरी हुई आईं, लेकिन बंटवारे के बाद कई ऐसे परिवार हैं जिनको अपने खोये हुए सदस्य मिल गये हैं. एक ऐसी ही कहानी सामने आई है जब दो भाई बंटवारे के बाद अब मिल पाए. दोनों भाइयों की आंखों में खुशी के आंसू थे.
सिख मजदूर सिका सिर्फ छह महीने के थे जब वह और उनके बड़े भाई सादिक खान अलग हो गए थे. क्योंकि ब्रिटेन ने औपनिवेशिक शासन के अंत में उपमहाद्वीप को विभाजित कर दिया था. सिका के पिता और बहन सांप्रदायिक नरसंहारों में मारे गए थे, लेकिन सादिक, जो सिर्फ 10 साल के थे वह पाकिस्तान भाग गए. सिका की मां ये सब सहन करने में असमर्थ थीं इसलिए उन्होंने नदी में कूदकर जान दे दी. जिसके बाद रिश्तेदारों ने सिका को पाल-पोस कर बड़ा किया.
पाकिस्तानी यूट्यूबर नासिर ढिल्लो ने की मदद
सिका जब छोटे थे तब से अपने भाई को ढूंढ़ने के प्रयास में लगे थे क्योंकि उनके परिवार में एकमात्र जीवित उनके भाई ही थे. कई फोन कॉल्स किये गए लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया. इसके बाद पाकिस्तानी यूट्यूबर नासिर ढिल्लो की मदद के बाद उन्हें उनके भाई मिले. 2019 में खोला गया गलियारा, दोनों देशों के बीच जारी शत्रुता के बावजूद, अलग-अलग परिवारों के लिए एकता और सुलह का प्रतीक बन गया.
भारत-पाकिस्तान की राजनीति की परवाह नहीं
सिका ने अपने परिवार की फोटो को पकड़कर कहा कि हमें भारत-पाकिस्तान की राजनीति की परवाह नहीं है. मैं भारत से हूं और मेरा भाई पाकिस्तान से है, लेकिन हमारे अंदर एक-दूसरे के लिए बहुत प्यार है. जब हम पहली बार मिले तो हम गले मिले और बहुत रोए.
300 परिवारों को फिर से जोड़ने में मदद की है
पाकिस्तानी यूट्यूबर 38 वर्षीय ढिल्लो का कहना है कि उन्होंने अपने YouTube चैनल के माध्यम से अपने दोस्त भूपिंदर सिंह और एक पाकिस्तानी सिख के साथ लगभग 300 परिवारों को फिर से जोड़ने में मदद की है.
ढिल्लो ने कहा- मैं अपने दादा-दादी की इच्छाओं को पूरा कर रहा हूं
एएफपी (AFP) के मुताबिक ढिल्लो ने कहा, “यह मेरी आय का स्रोत नहीं है. यह मेरा आंतरिक स्नेह और जुनून है. मुझे ऐसा लगता है कि ये कहानियां मेरी अपनी कहानियां हैं. या कह सकते है कि मेरे दादा-दादी की कहानियां हैं. इसलिए इन बड़ों की मदद करने से मुझे ऐसा लगता है कि मैं अपने दादा-दादी की इच्छाओं को पूरा कर रहा हूं.”
एक कहानी सिख बलदेव और मुमताज़ बीबी की
मुमताज़ बीबी जब छोटी थीं तब वह दंगों के दौरान अपनी मृत मां के साथ पायी गई थीं और उन्हें एक मुस्लिम जोड़े ने गोद ले लिया था. जिसके बाद उनका धर्म बदल दिया गया था. उनके भाई गुरमुख सिंह और सिख बलदेव को भी पाकिस्तानी यूट्यूबर ढिल्लो द्वारा पता चला.
भाई-बहन आखिरकार इस साल की शुरुआत में करतारपुर कॉरिडोर में मिले. अपने जीवन में पहली बार एक-दूसरे को देखने के कारण टूट गए. 65 वर्षीय बलदेव सिंह ने कहा कि जब हमने उसे पहली बार देखा तो हमारी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. उनके धर्म परिवर्तन पर सवाल हुआ तो बलदेव सिंह ने कहा कि क्या हुआ अगर हमारी बहन मुस्लिम है? ‘उसकी नसों में वही खून बहता है जो हमारे अंदर है.’
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