काबुल। पाकिस्तान (Pakistan) के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Foreign Minister Shah Mehmood Qureshi) अफगानिस्तान (Afghanistan) के एक पत्रकार को इंटरव्यू (Interview) देकर बुरी तरह फंस गये हैं। अफगानिस्तान (Afghanistan) के टोलो न्यूज के पत्रकार ने अपने इंटरव्यू के दौरान पाकिस्तानी विदेश मंत्री की धज्जियां उड़ाकर रख दी हैं और इस इंटरव्यू के बाद अब पाकिस्तान (Pakistan) के लोगों का कहना है कि अगर शाह महमूद कुरैशी (Shah Mehmood Qureshi) को विदेश मामलों की जानकारी नहीं है तो फिर वो इंटरव्यू देने क्यों चले जाते हैं। टोलो न्यूज प्रमुख लोतफुल्ला नजफिदा ने अपने इंटरव्यू के दौरान पाकिस्तानी विदेश मंत्री को पानी-पानी कर दिया है।
इंटरव्यू देकर फंसे कुरैशी
टोलो न्यूज ने शाह महमूद कुरैशी(Shah Mehmood Qureshi) के इंटरव्यू के कई क्लिप्स सोशल मीडिया ट्विटर (Social Media Tweeter) पर शेयर किए हैं, जिनमें शाह महमूद कुरैशी कई सवालों में बुरी तरह से फंसते नजर आ रहे है। भारत के मुद्दे पर अफगानिस्तान के पत्रकार ने शाह महमूद कुरैशी से कई सवाल पूछे, जिनका जवाब देते हुए शाह महमूद कुरैशी कई बार फंस गये। इंटरव्यू के दौरान ब्रिटिश एक्सेंट में बोलने की कोशिश करते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्री देखे जा रहे हैं, लेकिन तालिबान के मुद्दे पर ऐसा लग रहा था कि उनके पास कोई जवाब नहीं है। अफगान पत्रकार ने तालिबान-पाकिस्तान संबंधों को लेकर पाकिस्तानी विदेश मंत्री की पोल-खोलकर रख दी है।
भारत पर बोलकर फंसे कुरैशी
पाकिस्तानी पत्रकार लोतफुल्ला नजफिदा ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री से पूछा कि भारत और अफगानिस्तान के बीच में अच्छे संबंध हैं, उससे पाकिस्तान को क्या दिक्कत है? इस पर शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि अफगानिस्तान की मर्जी है वो जिससे चाहे द्विपक्षीय रिश्ते रखे, व्यावसायिक रिश्ते रखे, उससे पाकिस्तान को कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि अफगानिस्तान में भारत की जितनी मौजूदगी होनी चाहिए, उससे ज्यादा है। इस पर अफगान पत्रकार ने पूछा कि आखिर भारत की मौजूदगी पाकिस्तान को परेशान क्यों करती है? जिसपर शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि ‘अगर अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ होगा, उससे पाकिस्तान को ऐतराज है’, जिसपर अफगान पत्रकार ने पूछा कि क्या भारत ने ऐसा किया है? तो शाह महमूद कुरैशी चुप हो गये और मुस्कुराने लगे। उन्हें कोई जवाब नहीं सूझ रहा था।
भारत-अफगान रिश्ते से परेशानी क्यों ?
अफगानिस्तान के पत्रकार ने पूछा कि क्या आपको पता है कि अफगानिस्तान में भारत के कितने वाणिज्य दूतावास हैं, इसपर कपरैशी ने कहा कि आधिकारिक तौर पर चार हैं, लेकिन अनाधिकारिक तौर पर भारत के कितन वाणिज्य दूतावास हैं, ये अफगानिस्तान को बताना चाहिए, अफगानिस्तान की सीमा तो भारत से नहीं लगती। जिसपर टोलो न्यूज की तरफ से काउंटर सवाल किया गया कि अगर अफगानिस्तान और भारत के अच्छे रिश्ते हैं तो भला पाकिस्तान को क्या दिक्कत है? इस सवाल पर शाह महमूद कुरैशी पूरी तरह खामोश हो गये। उनके पास कोई जवाब नहीं था।
तालिबान-पाकिस्तान रिश्ते पर फंसे
टोलो न्यूज के पत्रकार लोतफुल्ला नजफिदा ने तालिबान-पाकिस्तान रिश्ते को लेकर कुरैशी की बोलती बंद कर दी। लोतफुल्ला नजफिदा ने पूछा कि क्या तालिबान के नेता हैबतुल्लाह अखुंदजादा, मुल्ला याकूब या सिराजुद्दीन हक्कानी पाकिस्तान में नहीं है? इसपर कुरैशी ने कहा कि ये सवाल आपको अफगानिस्तान सरकार से पूछना चाहिए। जिसपर पत्रकार ने फौरन कुरैशी की बात को काटते हुए पूछा कि मई में तालिबान के नेता शेख अब्दुल हकीम अफगानिस्तान आया था, जहां वो तालिबान के अपने नेताओं से मिला था और उसने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि वो पाकिस्तान से आया है। इस सवाल के जवाब में शाह महमूद कुरैशी काफी ज्यादा अहंकार में बोलते नजर आए उन्होंने मुझसे संपर्क नहीं किया है।
‘तालिबान चाहता है शांति’
कुरैशी ने इंटरव्यू के दौरान भी तालिबान की दलाली करनी शुरू कर दी और कहा कि तालिबान भी अफगानिस्तान में शांति चाहता है, जिसपर अफगान पत्रकार ने पूछा कि ये बात आपको कैसे पता है? इसपर कुरैशी ने कहा कि उनसे बात होती रही है। कुरैशी ने कहा कि वो तालिबान और अफगानिस्तान सरकार की बातचीत में शामिल नहीं हो पाए। इसपर अफगान पत्रकार ने कुरैशी से कहा कि ऐसी कोई चर्चा हुई ही नहीं है, आपको कैसे पता है? इस सवाल पर भी पाकिस्तानी विदेश मंत्री पानी-पानी हो गये और उनके झूठ की पोल खुल गई। और उन्होंने लड़खड़ाते हुए कहा कि अफगानिस्तान एक और गृहयुद्ध नहीं झेल सकता है।
इंटरव्यू के बाद घिरे कुरैशी
टोलो न्यूज को दिए गये इंटरव्यू से शाह महमूद कुरैशी बुरी तरह से घिर गये हैं और पाकिस्तान के अंदर उनकी काफी आलोचना हो रही है। कई लोगों ने उन्हें सलाह दी है कि सिर्फ एंठकर इंग्लिश बोलने की नौटंकी से उन्हें बचना चाहिए और विदेशी मसलों पर और बारीकि से काम करना चाहिए। वहीं, अफगानिस्तान के पहले उप-राष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह ने भी कुरैशी के इंटरवन्यू पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘ये शब्द तालिबान का पाकिस्तानीकरण नहीं कर सकते।’ वहीं, कई अफगानिस्तानी नागरिकों ने कहा है कि आखिर शाह महमूद कुरैशी तालिबान के प्रवक्ता बनने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?
तालिबान का दूसरा घर है पाकिस्तान
अफगानिस्तान सरकार के लिए सबसे ज्यादा चिंता की बात ये है कि पाकिस्तान ही तालिबान की मदद कर रहा है। और पाकिस्तान आतंकियों का कितना हमदर्द देश है, ये तो किसी से छिपा हुआ नहीं है। अफगानिस्तान के एक प्रांत की सरकार ने साफ तौर पर कहा कि अफगानिस्तान में रहने वाले पाकिस्तानी आतंकियों की मदद करते हैं, लिहाजा अफगानिस्तान से पाकिस्तानियों तो बाहर निकाला जाए। पाकिस्तान के एनएसए ने साफ तौर पर कहा है कि पाकिस्तान लगातार तालिबान को गोला-बारूद, हथियार दे रहा है। अफगानिस्तान के एनएसए ने खुलेआम कहा कि तालिबान पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का गुलाम संगठन है। वहीं, 15 मई को एक इंटरव्यू के दौरान अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने दोहराया कि पाकिस्तान तालिबान का समर्थन कर रहा है। लेकिन पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने इसे “गैर-जिम्मेदाराना बयान” और “निराधार आरोप” बताया।
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