इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Paksitan)की हर दिन कमजोर होती आर्थिक व्यवस्था (Economic system) ने शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) की सरकार के सामने एक बड़ा संकट पैदा कर दिया है। देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से आईएमएफ (IMF) के कार्यक्रम और दूसरे देशों से मिलने वाले कर्ज (Loan) के सहारे है। आईएमएफ से हाल के सालों में पाकिस्तान को मदद मिली है लेकिन जमीन पर देश की आर्थिक स्थिति को इससे फायदा होता नहीं दिखा है। बीते एक दशक में पाकिस्तानी रुपया लगातार कमजोर होता रहा है और देश पर कर्ज बढ़ता जा रहा है। देश पर गहराते संकट के बीच पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के जानकार यूसुफ नजर ने शहबाज शरीफ सरकार को मनमोहन सिंह की नीतियों से सीखने की सलाह दी है।
यूसुफ नजर ने अपने एक्स पर स्टिमसन में लिखे अक्षोभ गिरिधरदास के लेख को शेयर किया है। इसमें अक्षोभ ने बताया है कि कैसे 1991 में भारत गंभीर आर्थिक संकट में था। भारत पर भी आईएमएफ का कर्ज था, जिसके पुनर्भुगतान पर दबाव था और बाहर कर्ज बढ़ गया था। राजकोषीय घाटे के चालू खाते के घाटे में जुड़ने से विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो रहा था। इस मुश्किल हालात में डॉक्टर मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधारों के बहुत मुश्किल लगने वाले कदम उठाए। उन्होंने खामोशी से जो काम किए, उनका ही नतीजा है कि आज भारत दुनिया की टॉप-5 इकॉनमी में एक है।
मनमोहन सिंह का नाम, शहबाज शरीफ को नसीहत!
युसूफ नजर ने एक्स पर शहबाज शरीफ सरकार को इशारे में घेरते हुए मनमोहन सिंह और भारत का उदाहरण दिया है। उन्होंने लिखा कि 1991 में भारत 2.2 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त व्यवस्था के तहत आईएमएफ कार्यक्रम के तहत था। फिर भी 24 जुलाई 1991 को उस वक्त के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने सरकारी खर्चों में भारी कटौती की। कथनी की तुलना में करनी ज्यादा असरदार होती है। किसी भी सरकार को इस पर अमल करना चाहिए। भारत के 1991 के सुधारों का उद्देश्य केवल भुगतान संतुलन संकट को हल करना नहीं बल्कि एक मौलिक सुधार लाना था। सुधारों ने भारत की आर्थिक स्थिति को पलट कर रख दिया।
नजर ने आगे कहा कि भारत की उदारीकरण नीति ने निर्यात को अधिक प्रतिस्पर्धी बना दिया और आयात पर नियंत्रण ढीला कर दिया। इन आर्थिक सुधारों ने देश को एक नया जीवन दिया। नजर अक्सर पाकिस्तान सरकार की नीतियों पर कमेंट करते रहे हैं। इस बार उन्होंने सीधे तौर पर पाकिस्तान का नाम नहीं लिया है लेकिन साफतौर पर शहबाज सरकार को ये बताने की कोशिश की है कि कैसे भारत के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की आर्थिक नीतियों से वह सीख सकते हैं।
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