डेस्क: पाकिस्तान की केंद्रीय जांच एजेंसी ने सऊदी अरब जा रहे भिखारियों के एक समूह को पकड़ा है. ये सभी भिखारी तीर्थयात्री बन कर सऊदी अरब जा रहे थे. ग्रुप में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. आमतौर पर पाकिस्तान से लोग उमरा वीजा पर सऊदी अरब पहुंचते हैं. वहां पहुंचकर वे भीख मांगने का काम शुरू कर देते हैं. जांच एजेंसी को इस बारे में जानकारी मिली कि कुछ लोगों का ग्रुप सऊदी अरब के लिए रवाना हो रहा है. उनके पास उमरा वीजा है और वे सऊदी में भीख मांगने की मंशा रखते हैं. एजेंसी की टीम मुल्तान एयरपोर्ट पर थी, जहां सभी को हिरासत में ले लिया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भिखारी बनाकर दूसरे देशों में बच्चों को भेजा जा रहा है. एफआईए के निदेशक खालिद अनीस के मुताबिक, इसके पीछे एजेंट्स का ग्रुप काम करता है. वे इन लोगों को सऊदी अरब के पवित्र शहर में जाने में मदद करते हैं. यहां ये लोग पवित्र शहर में भीख मांगने का काम करते हैं. गिरफ्तार किए गए लोगों में 11 महिलाएं, चार पुरुष शामिल है. एक बच्चे को भी हिरासत में लिया गया है.
सऊदी जाने के दौरान पकड़े गए सभी भिखारी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के साहीवाल जिले के रहने वाले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इमीग्रेशन प्रक्रिया के दौरान जब एफआईए ने उनसे पूछताछ की तो पता चला कि वे सऊदी अरब भीख मांगने जा रहे थे. उन्होंने एफआईए को यह भी बताया कि उन्हें भीख मांगने से होने वाली कमाई का आधा हिस्सा उनकी यात्रा व्यवस्था में शामिल एजेंटों को देना होगा. उमरा वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद उन्हें पाकिस्तान लौटना था. रिपोर्ट के मुताबिक, मुल्तान हवाई अड्डे पर पकड़े जाने पर गिरफ्तार लोगों को आगे की जांच के लिए भेज दिया गया.
हाल ही पाकिस्तान संसद ने इस बात का खुलासा किया है कि बड़ी संख्या में लोग भीख मांगने के लिए खाड़ी देशों में भेजे जाते हैं. अवैध चैनलों के माध्यम से उन्हें विदेशों में तस्करी किया जाता है. पाकिस्तान के एक सचिव ने सीनेट पैनल को बताया कि विदेशों में पकड़े गए भिखारियों में से 90 फीसदी भिखारी पाकिस्तान के हैं. रिपोर्ट के मुताबिक़ ये भिखारी अक्सर सऊदी अरब की ग्रैंड मस्जिद और उसके आसपास के इलाक़ों में पॉकेटमारी जैसे छोटे-मोटे अपराधों में शामिल होते हैं. यहां तक कि सऊदी कि जेलों में भी पाकिस्तानियों कि संख्या सबसे ज़्यादा है.
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