नई दिल्ली (New Dehli)। विश्व बैंक (world Bank)की एक रिपोर्ट के अनुसार, महामारी के बाद पाकिस्तान (Pakistan)की मजबूत रिकवरी(strong recovery ) वित्त वर्ष 2023 में बड़े संचित आर्थिक असंतुलन के कारण रुक गई, जिसके परिणामस्वरूप समायोजन नीति को वापस लेने में देरी हुई और घरेलू और बाहरी आर्थिक झटकों से देश जूझने लगा।
गरीबी, अनाज और महंगाई की मार झेल रहे पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को एक लाख की टोपी पहनकर चुनावी रैली करते हुए देखने का दावा किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि वह पंजाब प्रांत के एक जिले ननकाना साहिब में रैली के दौरान एक लाख पाकिस्तानी रुपये (पीकेआर) से अधिक मूल्य की गुच्ची की टोपी पहने हुए थे।
वहीं, नवाज द्वारा पहनी गई टोपी की अत्यधिक कीमत ही रैली का एकमात्र आकर्षण नहीं थी बल्कि कुछ ने टोपी पर धारियों के रंग की ओर भी इशारा किया, जो इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के झंडे के समान था।
नवाज शरीफ की गुच्ची टोपी की चौंका देने वाली कीमत को स्थापित करने के लिए, नेटिजन्स ने रसीदों और चालानों का एक संकलन भी दिखाया। देखा जाए तो एक तरफ पाकिस्तान ईंधन, बिजली और भोजन जैसी बुनियादी सुविधाओं की आसमान छूती कीमतों के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहा है, ऐसे में उनकी यह टोपी अब एक विवाद बन चुकी है।
इसलिए लगा था आर्थिक स्थिति को झटका
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, महामारी के बाद पाकिस्तान की मजबूत रिकवरी वित्त वर्ष 2023 में बड़े संचित आर्थिक असंतुलन के कारण रुक गई, जिसके परिणामस्वरूप समायोजन नीति को वापस लेने में देरी हुई और घरेलू और बाहरी आर्थिक झटकों से देश जूझने लगा।
इसके अलावा पाकिस्तान में वैश्विक कमोडिटी कीमतों में बढ़ोतरी, वैश्विक मौद्रिक सख्ती, हालिया विनाशकारी बाढ़ और घरेलू राजनीतिक अनिश्चितता के बीच घरेलू कीमतों, बाहरी और राजकोषीय संतुलन, विनिमय दर और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव भी बढ़ गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वेतन और नौकरी की गुणवत्ता में गिरावट के साथ-साथ उच्च मुद्रास्फीति के कारण गरीबी बढ़ी है, जिससे विशेष रूप से गरीबों की क्रय शक्ति कम हो गई है।
जनता से किए थे ये वादे
2024 के आम चुनावों से पहले, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सुप्रीमो नवाज शरीफ ने शनिवार को पार्टी के चुनाव घोषणापत्र का अनावरण किया। गौरतलब है कि सत्ता में आने पर नवाज की पार्टी ने जनता को सस्ती बिजली के साथ-साथ तेजी से विकास मुहैया कराने का वादा किया था। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, घोषणापत्र के वादों में बिजली बिल में 20 से 30 फीसदी की कटौती भी शामिल है।
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