नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार 3.0 का पहला बजट संसद में पेश कर दिया है. इस बजट में भारत के रक्षा मंत्रालय को 6,81,209 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. इस बजट में से केंद्र सरकार ने 1,61,528 करोड़ रुपये केवल हथियारों की खरीद के लिए दिए हैं. इस बजट से सेना फाइटर जेट, टैंक, गोला-बारूद, मिसाइलों से लेकर अन्य हथियार खरीदेगी.
भारत सरकार ने एयरफोर्स के लिए 53,700 करोड़ रुपये, नेवी के लिए 38,149 करोड़ और आर्मी के लिए 2,07,520 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इसके अलावा पेंशन के लिए 1,60,795 करोड़ रुपये दिए गए हैं. आर्मी के जवानों की सैलरी और अन्य भत्तों के लिए 1,13,756 रुपये दिए गए हैं. इसके साथ ही सरकार ने इस बार अग्निवीरों का बजट भी बढ़ाया है.
भारत ने वैसे तो अपना रक्षा बजट बढ़ाया है, लेकिन कोरोना महामारी के बाद से जीडीपी में रक्षा बजट के वितरण में गिरावट आई है. जहां 2020-21 तक जीडीपी में डिफेंस का हिस्सा 2.3 फीसदी था, लेकिन 2021-22 और 2024-25 के बीच घटकर 2.1 प्रतिशत हो गया. 2024-25 में सरकार ने डिफेंस का खर्च बढ़ाया तो एक दशक में ये पहली बार 2 फीसदी के नीचे गिर गया. दरअसल पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार ने 6.2 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए थे. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में भारत चौथा सबसे बड़ा सैन्य खर्च करने वाला देश था. भारत का खर्च अमेरिका का 10वां हिस्सा था. साल 2023 में चीन का सैन्य खर्च GDP का 1.2 फीसदी था.
एशिया में चीन सबसे ज्यादा अपनी सेना पर खर्च करता है, जबकि दूसरे नंबर पर भारत है. वहीं पाकिस्तान एशिया में तीसरा ऐसा देश है, जो सबसे ज्यादा बजट डिफेंस पर खर्च करता है. पाकिस्तान की बात की जाए तो पड़ोसी देश ने 2024-25 के लिए वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने 18 लाख 87 हजार 700 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था, जिसमें से 2,12,200 करोड़ रुपये डिफेंस के लिए आवंटित किए थे, जोकि उसकी जीडीपी का केवल 1.7 फीसदी है. पाकिस्तान ने अपना बजट पिछले साल के लगभग बराबर ही रखा था क्योंकि उसने 2023-24 के लिए 1,80,000 करोड़ रुपये दिए थे.
पाकिस्तान के आर्थिक सर्वे के मुताबिक, पड़ोसी देश ने साल 2020 में अपने रक्षा खर्च में कटौती की है. जहां पाकिस्तान ने 2016 में जीडीपी का 2.3 फीसदी खर्च किया था, वहीं 2017 में 2.5 फीसदी, 2018 में 2.6 फीसदी खर्च किया था. 2018 से लेकर 2020 तक इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया. हालांकि सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़े रक्षा खर्च की वास्तविक तस्वीर नहीं बता सकते क्योंकि कई सैन्य-संबंधित खर्चों का बजट नागरिक व्यय में किया जाता है.
अगर आंकड़े देखें तो 2019 से लेकर अबतक पाकिस्तान का रक्षा बजट तीनों सेनाओं और खुफिया एजेंसियों में बांटा जाता है. इनमें सेना के लिए सबसे ज्यादा 47.5 फीसदी, एयर फोर्स के लिए 21.3 फीसदी और नेवी के लिए सबसे कम 10.8 आवंटित होता है. इसके अलावा इंटर सर्विसेज ऑर्गनेजाइशेन के लिए 20 फीसदी बजट दिया जाता है. पाकिस्तान में बजट को चार श्रेणियों में बांटा जाता है. इनमें कर्मचारी संबंधित खर्च, परिचालन खर्च, भौतिक संपत्ति और सिविल वर्क शामिल हैं. भौतिक संपत्ति में हथियारों, गोला-बारूद और अन्य खरीद शामिल होती हैं.
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