नई दिल्ली। मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमलों को लेकर एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यह खुलासा किया है उस वक्त इस्लामाबाद में तैनात रहे भारतीय राजनयिक शरत सभरवाल ने। शरत के मुताबिक उन्हें पाकिस्तानी आर्मी द्वारा बताया गया था कि लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा। पाकिस्तानी आर्मी के मुताबिक उनके खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिला था। सभरवाल ने अपनी नई किताब ‘इंडियाज पाकिस्तान कोनन्ड्रम’ में लिखा है कि उन्होंने पाकिस्तानी सेना के वार्ताकार को नई दिल्ली द्वारा उपलब्ध कराए गए सुबूतों के बारे में बताया था। लेकिन इसको लेकर भी उसका रवैया उदासीन ही रहा।
हालांकि तब से अब तक भारत और अन्य देशों से मुंबई हमले में लश्कर की भूमिका पर कई अहम सुबूत पेश किए हैं। गौरतलब है कि 2008 में हुए इस हमले में लश्कर आतंकियों ने मुंबई में तीन दिन तक खूनी खेल खेला था। इस दौरान 166 लोगों की हत्या कर दी गई थी। यह हमला कराची से समुद्र के रास्ते आए 10 आतंकियों ने अंजाम दिया था। तब लश्कर का एकमात्र जिंदा आतंकी अजमल कसाब ही पुलिस के हत्थे चढ़ा था। बाद में इसमें हाफिज सईद के शामिल होने के कई सबूत मिले थे।
सभरवाल ने अपनी किताब में अगस्त 2010 में पाकिस्तानी सेना के एक वरिष्ठ वार्ताकार से मीटिंग का जिक्र किया है। उसने सभरवाल को चार प्वॉइंट वाला संदेश दिया था। इसके मुताबिक मुंबई आतंकी हमले में पाकिस्तानी सेना या आईएसआई नेतृत्व का कुछ लेना-देना नहीं था। साथ ही यह भी कहा गया था कि अगर भारत चाहता है कि हाफिज सईद के खिलाफ पाकिस्तान एक्शन ले तो ऐसा होने वाला नहीं है। वजह, हाफिज सईद के खिलाफ कोई भी सुबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे साबित होता था कि वह लोग सईद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मंशा नहीं रखते थे।
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