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अफगानिस्‍तान के मुद्दे पर पाकिस्तान ने भारत के इस ऑफर से किया किनारा

November 03, 2021

इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार national security advisor (NSA) मोईद युसूफ (Moeed Yusuf) ने मंगलवार को कहा कि वह अफगानिस्तान (Afghanistan) पर 10 नवंबर को होने वाले सम्मेलन के लिए भारत(India) की यात्रा नहीं करेंगे. साथ ही, उन्होंने अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने वाले देश (Countries that make peace in Afghanistan) के रूप में भारत की भूमिका को खारिज किया है. भारत ने एनएसए अजीत डोभाल (NSA Ajit Doval) की मेजबानी में अफगानिस्तान (Afghanistan) पर आयोजित किये जा रहे क्षेत्रीय सम्मेलन में शरीक होने के लिए पाकिस्तान को भी न्योता दिया था.



समिट में शामिल नहीं होगा पाकिस्तान
खबरों के मुताबिक, युसूफ ने कहा कि वह अफगानिस्तान पर 10 नवंबर को भारत में होने वाले सम्मेलन में शरीक होने के लिए भारत की यात्रा नहीं करेंगे. खबर में कहा गया है कि एक सवाल के जवाब में युसूफ ने कहा कि एक ‘ट्रबल मेकर’ शांति कायम करने वाले का रोल नहीं निभा सकता. इससे पहले, पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने भारत से मिले न्योते की पुष्टि की थी लेकिन कहा था कि फैसला सही वक्त पर किया जाएगा.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि पाकिस्तान का फैसला न्यूक्लियर हथियारों से लैस दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों की मौजूदा स्थिति पर आधारित होगा. युसूफ ने कहा, ‘पश्चिमी देशों के लिए (अफगानिस्तान से) 10,000 मील दूर बैठना सुखद होगा, लेकिन अफगानिस्तान से दूर रहने का हमारे पास कोई ऑप्शन नहीं है.’

अफगानिस्तान हमारे लिए मानवीय मुद्दा
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से बातचीत करना पाकिस्तान के लिए एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है बल्कि एक मानवीय मुद्दा है और यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. हाल ही में रूस की ओर से भी अफगानिस्तान पर ऐसे ही सम्मेलन का आयोजन किया गया था और भारत की ये समिट उसी का अगला चरण है. भारत की ओर से आयोजित इस सम्मेलन में रूस, चीन, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान, ईरान जैसे देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शामिल हो सकते हैं.

दोनों देशों के रिश्तों में दरार
पाकिस्तान के इस कदम से भारत के साथ उसके संबंधों में जमी बर्फ के पिघलने की संभावना पर विराम लग गया है. भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध, 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के बाद खराब हो गए हैं. उरी में सेना के कैंप पर हुए हमले से संबंध और बिगड़े थे. वहीं, पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत की एयरस्ट्राइक के बाद दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गये थे.
अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिये जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के भारत सरकार के फैसले से दोनों देशों के संबंध और खराब होते चले गए.

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