इस्लामाबाद। आतंकियों को पनाह देने वाला पाकिस्तान अब भारत पर ही बेबुनियाद आरोप लगाकर एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकलने की कोशिश में है। उसने अपने यहां चल रहे आतंकी फडिंग के मामले प्रत्यक्ष रूप से सामने आने के बाद भी फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट से निकलने के लिए पत्र लिखा है। इस पत्र में यूरोपियन यूनियन डिसइंफोलैब की झूठी रिपोर्ट का सहारा लिया है, जिसमें भारत पर मनगढ़ंत आरोप लगाए गए हैं।
पाकिस्तान की कोशिश है कि वह किसी तरह से ग्रे लिस्ट से बाहर आ जाए। इसीलिए उसने पिछले दिनों कुछ आंतकवादियों पर दिखावे के लिए कार्रवाई की थी। पाकिस्तान ने एफएटीएफ को लिखे पत्र में अपनी खस्ता हाल आर्थिक स्थिति का भी हवाला दिया है। उसने गुहार की है कि यदि ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं किया गया तो उसकी स्थिति और खराब हो जाएगी। पाकिस्तान अब आतंकवादियों के खिलाफ वास्तव में कार्रवाई करने के बजाय प्रपंच का सहारा ले रहा है।
ज्ञात हो कि एफएटीएफ एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग जैसे वित्तीय मामलों में दखल देते हुए तमाम देशों के लिए गाइडलाइन तय करती है। ब्लैकलिस्ट में उन देशों को रखा जाता है, जो आतंकवाद को वित्तीय तौर पर बढ़ावा दे रहे हैं।
रिपोर्ट में हुआ पाकिस्तान की करतूत का खुलासा
पिछले दिनों जारी ग्रीक सिटी टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में कुख्यात आतंकी संगठन जामत-उद-दावा (JuD) और जैश-ए-मुहम्मद (JeM) बिना किसी परेशानी के आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं और लोगों की जिंदगियों के साथ खेल रहे हैं।
अगले महीने एक बैठक में वैश्विक निगरानी संस्था पाकिस्तान को रखे गए ग्रे-लिस्ट पर जानकारी लेगी। पाक को 2018 में ग्रे-लिस्ट में रखा गया था। एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने 2020 में अक्टूबर महीने की समीक्षा बैठक के दौरान कहा था कि आतंकवादी संस्थाओं को वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान के प्रयासों में ‘बहुत गंभीर कमियां थीं’। ग्रीक सिटी टाइम्स ने सूचना दी थी कि पाकिस्तान को इन मुद्दों को हल करने के लिए फरवरी 19-21 तक का समय दिया है, क्योंकि वे हमेशा के लिए इंतजार नहीं कर सकते।
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