नई दिल्ली (New Delhi) । संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (United Nations Human Rights Council) में शुक्रवार (5 अप्रैल) को इजरायल (Israel) के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया. इसमें कहा गया कि इजरायल ने गाजा (Gaza) में वॉर क्राइम यानी युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध किए हैं, जिसे लेकर उसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. हालांकि, भारत समेत 13 देशों ने संयुक्त राष्ट्र में पेश किए गए इस प्रस्ताव से दूरी बनाए रखी. गाजा में चल रहे युद्ध को लेकर इजरायल पर आरोप है कि वह वहां युद्ध अपराध को अंजाम दे रहा है.
गाजा में बिगड़ रहे हालातों पर यूएन में इजरायल के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव के समर्थन में 28 देशों ने वोट किया, जबकि 13 देशों ने इससे दूरी बनाई. प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने वाले देशों की संख्या 6 रही. अमेरिका और जर्मनी उन देशों में शामिल रहे, जिन्होंने प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कुल 47 देश हैं. इस ग्रुप में शामिल ज्यादातर देश लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं और मानवाधिकार का पालन करने की बात करते हैं.
इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव में क्या कहा गया था?
यूएन में पेश किए गए प्रस्ताव में इजरायल पर हथियारों का एम्बार्गो लगाने की बात कही गई. इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि सभी देशों को इजरायल को हथियारों और अन्य सैन्य उपकरणों की बिक्री या उनका ट्रांसफर बंद कर देना चाहिए. ऐसा करने पर ही अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन और मानवाधिकारों का दुरुपयोग रुक पाएगा. इसमें इजरायल को गाजा में उसकी सेना के जरिए किए गए ‘युद्ध अपराध’ के लिए जिम्मेदार ठहराने की बात भी कही गई.
कौन सा देश लेकर आया यूएन में प्रस्ताव?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की ओर से पाकिस्तान द्वारा इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया था. ओआईसी लंबे समय से इजरायल को गाजा में हो रही जंग के लिए दोषी साबित करने में जुटा हुआ है. पाकिस्तान समेत दुनिया के लगभग सभी इस्लामिक देशों ने गाजा में हमास संग चल रही जंग को लेकर उसकी आलोचना की है. उनका कहना है कि युद्ध की वजह से मासूम फिलिस्तीनियों को जान गंवानी पड़ रही है.
भारत ने क्यों बनाई प्रस्ताव से दूरी?
भारत के साथ जॉर्जिया, जापान और नीदरलैंड उन देशों में शामिल थे, जिन्होंने प्रस्ताव को लेकर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया. मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि भारत ने पहले भी फिलिस्तीनी क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर प्रस्तावों से दूरी बनाई है. इस बार भी प्रस्ताव का बहिष्कार करना, उसके पारंपरिक रुख के मुताबिक ही था.
हालांकि, भारत ने मानवाधिकार परिषद में फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन में लाए गए तीन प्रस्तावों का समर्थन भी किया. इसमें फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करने वाला प्रस्ताव, कब्जे वाले सीरियाई गोलान में मानवाधिकारों पर चिंता व्यक्त करने वाला प्रस्ताव, और वेस्ट बैंक, गाजा एवं पूर्वी यरुशलम सहित कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में इजरायली बस्तियों की निंदा करने वाला प्रस्ताव शामिल है.
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