लाहौर। ऐसा लग रहा है कि भारत (India) और पाकिस्तान (Pakistan) के संबंधों पर जमी बर्फ पिघलने लगी है। पाकिस्तान की ओर से भी ऐसी कोशिश होती दिख रही है। जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी किए जाने के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण थे। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान (POK PM Imran Khan) पहले शर्त रख रहे थे कि जब तक भारत कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल नहीं करता है तब तक कोई बातचीत नहीं होगी। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान इस शर्त को छोड़ वार्ता शुरू करने के लिए तैयार है।
पाकिस्तान कई तरह के आर्थिक संकट में घिरा हुआ है और भारत से तनाव इस संकट को और जटिल बना रहा है। पाकिस्तान भी इस बात को बखूबी समझता है। तभी इमरान खान भारत को लालच दे रहे हैं कि अगर तनाव कम होता है तो तो पूरे इलाके को फायदा होगा। इमरान खान का हालिया बयान भारत की रणनीति की जीत की तरह है क्योंकि अब पाकिस्तान लंबे समय तक अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने को अस्वीकार नहीं कर सकता।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि अगर कश्मीर मुद्दा का समाधान हो जाता है तो पूरे इलाके को इसका फायदा मिलेगा। इमरान खान का यह बयान तब आया है जब दोनों देशों के बीच नियंत्रण रेखा पर युद्धविराम पर सहमति बनी है। इसके साथ ही अगले हफ्ते दोनों देशों के बीच सिंधु जल समझौता पर भी बात होनी है। वहीं, 30 मार्च को तजाकिस्तान की राजधानी में दुशांबे में अफगानिस्तान पर एक क्षेत्रीय कॉन्फ्रेंस में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों को बुलाया गया है।
बुधवार को इमरान खान ने इस्लामाबाद सुरक्षा संवाद में कहा, ‘’यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम सभ्य पड़ोसी की तरह भारत से बातचीत के जरिए मसले सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन यह काम नहीं कर रहा है। हमारे बीच केवल कश्मीर का मुद्दा है। भारत ने अनुच्छेद 370 को खत्म कर दोनों देशों के बीच शांति की कोशिश को पटरी से उतार दिया। इसके बाद हमें भी कई कदमों को पीछे खींचना पड़ा।’’
इमरान खान ने कहा, ‘’कश्मीर मुद्दा सुलझ जाता है तो भारत को भी मध्य एशिया में कारोबार के लिए व्यापक मौका मिलेगा। कश्मीर मुद्दा के कारण सब कुछ रुका हुआ है। मैंने पूरी कोशिश की लेकिन भारत ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।’’ इमरान खान के इस बयान से लगता है कि दोनों देशों के बीच वार्ता के लिए जमीन तैयार की जा रही है। इससे पहले भारत के विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने भी पाकिस्तान से बातचीत को लेकर सकारात्मक बयान दिया था।
हर्ष श्रृंगला ने कहा, ‘’भारत अपने पड़ोसी पाकिस्तान से अच्छा संबंध चाहता है। हम हर मुद्दे का द्विपक्षीय और शांतिपर्ण तरीके से समाधान करना चाहते हैं। हम रचनात्मक माहौल में किसी भी सार्थक वार्ता के लिए तैयार हैं।’’ हर्ष श्रृंगला ने ये बात उस शर्त के साथ नहीं की जो कि भारत अक्सर करता है। भारत की शर्त रहती थी कि पाकिस्तान राज्य प्रायोजित आतंकवाद रोके तब कोई बात होगी।
25 फरवरी को दोनों देशों के बीत युद्धविराम पर सहमति बनी थी। दोनों देशों के बीच 2015 के बाद से औपचारिक बातचीत नहीं हुई है। 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस्लामाबाद गई थीं तब उन्होंने व्यापक द्विपक्षीय मैकेनिजम बनाने की घोषणा की थी। कई हलकों में ये बात भी कही जा रही है कि दोनों देश पिछले दरवाजे से बातचीत कर रहे हैं। इसमें भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और पाकिस्तान के सेना प्रमुख के बीच वार्ता की बात कही जा रही है। हालांकि, दोनों में से किसी ने इसकी पुष्टि नहीं की है। फॉरन पॉलिसी मैगजीन ने अक्टूबर 2020 में दावा किया था कि दोनों देशों के बीच बातचीत कराने में संयुक्त अरब अमीरात अहम भूमिका निभा रहा है।
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