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    पाकिस्तान को अपने ही बनाए ‘जहर’ की नहीं मिल रही काट, अब तालिबान पर लगा रहा आरोप

  • December 17, 2024

    डेस्क: पाकिस्तान को अब अपने ही बनाए ज़हर की काट नहीं मिल रही है. पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ न केवल आतंकियों को पनाह दी बल्कि लगातार उनका इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए करता रहा. आतंकियों की ट्रेनिंग से लेकर हथियार मुहैया कराने तक का आरोप पाकिस्तान पर लगता रहा है, लेकिन अब यही पाकिस्तान एक दूसरे मुल्क पर ऐसा ही आरोप लगा रहा है.

    हाल के दिनों में पाकिस्तान में आतंकी हमले बढ़े हैं, इनमें से कई हमलों में चीन के प्रोजेक्ट्स और नागरिकों को निशाना बनाया गया है. लिहाज़ा पाकिस्तान को चीन लगातार इस मुद्दे को लेकर लताड़ लगा रहा है. यही वजह है कि आतंक का पनाहगार अब आतंकवाद विरोधी कार्रवाई कर में जुट गया है.

    पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने आरोप लगाया है कि अफगानिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के 22 से 24 हज़ार सदस्यों ने सुरक्षित पनाह ली हुई है. मुख्यमंत्री आवास में विदेशी मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने दावा किया कि अफगानिस्तान के अलावा 16 से 18 हजार TTP के आतंकी पाकिस्तान के अंदर ऑपरेट कर रहे हैं.


    उन्होंने स्वीकार किया कि पाकिस्तान में अफगानिस्तान के साथ अपनी व्यापक सीमा पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने की क्षमता का अभाव है. हालांकि तालिबान ने पहले ही अफगानिस्तान में TTP के लड़ाकों को शरण देने के आरोपों से इनकार किया है. तालिबान ने कहा है कि वह TTP का समर्थन नहीं करता है.

    खैबर-पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की शहबाज सरकार को तालिबान के साथ इस मुद्दे पर बातचीत करनी चाहिए, क्योंकि तालिबानी प्रशासन से बातचीत करना उनके प्रांतीय क्षेत्राधिकार से बाहर है. उन्होंने कहा कि, ‘मैं बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति के बारे में अपनी चिंता जाहिर करने के लिए मजबूर हूं, क्योंकि मेरे प्रांत के लोग आतंकी हमलों में मारे जा रहे हैं.’

    शहबाज़ सरकार के अधिकारियों को लेकर निराशा जाहिर करते हुए सीएम अली अमीन ने संकेत दिया है कि उनकी प्रांतीय सरकार खैबर पख्तूनख्वा से जुड़े मुद्दों पर सीधे तालिबान प्रशासन से जुड़ सकती है. उन्होंने कहा कि व्यापक मुद्दों को अफगानिस्तान के तालिबान शासकों और पाकिस्तान की केंद्रीय सरकार के बीच चर्चा के जरिए सुलझाना चाहिए.

    खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री ने बताया कि जब शुरुआत में उन्होंने तालिबान से बातचीत का सुझाव दिया था तो संघीय सरकार ने इसका मजाक बनाया था, लेकिन वह इस बातचीत के महत्व को स्वीकार कर रहे हैं क्योंकि इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं है.

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