नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के मसले को पाकिस्तान (Pakistan) अंतरराष्ट्रीय लेवल पर उठाता रहता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के मंचों पर पाकिस्तान हर बार इस मसले को उठाता है और तुर्की, ईरान, मलयेशिया (Türkiye, Iran, Malaysia) जैसे देशों से भी इसकी चर्चा करवाता है। अब भारत ने उसकी इस लॉबिंग को ही तोड़ने का प्रयास शुरू कर दिया है।
करीब एक सप्ताह तक ईरान के सुप्रीम काउंसिल फॉर कल्चरल रिवॉल्यूशन के सेक्रेटरी अब्दुल हुसैन खोसरो पाना भारत में रुके। इस दौरान उन्होंने कई आयोजनों में हिस्सा लिया और भारत सरकार के प्रतिनिधियों से भी मुलाकातें कीं। इस दौरे को भारत सरकार की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है कि ईरान की राय को कश्मीर मसले पर बदला जाए।
बीते साल खामेनेई ने कश्मीर में मुसलमानों की हालत पर चिंता जताई थी। उससे पहले तुर्की और मलयेशिया कई बार संयुक्त राष्ट्र के मंच पर यह मसला उठा चुके थे। ऐसे में ईरान जैसे मित्र देश के शीर्ष नेता का बयान चौंकाने वाला था। माना जा रहा है कि उस स्थिति से बचाव के लिए ही सरकार ने यह फैसला लिया कि खामेनेई तक संदेश पहुंचाया जाए। दरअसल भारत सांस्कृतिक संबंध परिषद की ओर से कार्यक्रम का आयोजन हुआ था। इसी में अब्दुल हुसैन आए थे। उनका इस कार्यक्रम से इतर ताजमहल और राजघाट का भी दौरे का प्लान था। दरअसल बीते साल सितंबर में खामेनेई ने कश्मीर को लेकर बयान दिया था। इस पर भारत ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि शायद ईरान के शीर्ष नेता को कहीं से गलत जानकारी मिली है। उनकी ओर से जो टिप्पणी की गई है, वह अस्वीकार्य है।
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