काबुल (Kabul)। पाकिस्तान (Pakistan) ने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) सहित दुनियाभर के देशों के अनुरोध को ठुकराते हुए लाखों अफगान शरणार्थियों (Afghan refugees) के निर्वासन की प्रक्रिया (deportation process) शुरू कर दी है। लाखों अफगान शरणार्थियों का भविष्य अधर में है। अगर वे पाकिस्तान में रुकते हैं, तो उन्हें गिरफ्तारी का डर है। अगर अफगानिस्तान जाते हैं, जो वहां उनका न घर है, न काम काज, लिहाजा भुखमरी से मारे जाने का डर है। बहरहाल, सामूहिक निष्कासन की योजना को तेजी से पूरा करने के लिए पाकिस्तान ने सीमा पर जांच केंद्र और सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ा दी है। वहीं, तालिबान (Taliban) ने पाकिस्तान से अफगानों पर क्रूरता बंद करने के लिए कहा है।
तालिबान के रक्षा मंत्री मोहम्मद याकूब मुजाहिद (Taliban Defense Minister Mohammad Yaqub Mujahid) ने पाकिस्तान की अंतरिम सरकार (interim government of Pakistan) की आलोचना करते हुए लगभग धमकी भरे लहजे में कहा कि दशकों से पाकिस्तान में रह रहे अफगान मूल के लोगों को उनके घरों से बेदखल करने का पाकिस्तान का फैसला एकतरफा और क्रूरतापूर्ण है। पाकिस्तान को अपनी इस हरकत के नतीजों के बारे में भी सोचना चाहिए। पाकिस्तान में अफगान मूल के लोगों के घरों को तोड़ने और उनकी संपत्तियों पर कब्जा करने वालों से इतना ही कहेंगे कि कोई ऐसी भूल न करे, इसके नतीजे भुगतने होंगे।
तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र से मांगी मदद
मुजाहिद ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध किया कि पाकिस्तान को अफगानों पर अत्याचार करने से रोका जाए। अगर अफगानी मूल के लोगों को पाकिस्तान को निकालना भी है, तो उनके साथ सम्मान के साथ पेश आया जाए। इसके साथ ही मुजाहिद ने संयुक्त राष्ट्र से अफगानिस्तान लौट रहे शरणार्थियों को मदद देने की मांग की है। तालिबान के मुताबिक अकेले तोरखाम बॉर्डर से अब तक करीब 1.47 लाख लोग अफगानिस्तान में आ चुके हैं, इनमें से करीब 20,000 बृहस्पतिवार को आए जबकि, कुल 2 लाख से ज्यादा लोग पाकिस्तान छोड़कर अफगानिस्तान आ चुके हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved