नई दिल्ली: पाकिस्तान के मुख्य विपक्षी गठबंधन PDM (Pakistan Democratic Movement) के प्रमुख और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने रविवार को कहा कि नियंत्रण रेखा के दोनों ओर कश्मीरी प्रधानमंत्री इमरान खान से कोई उम्मीद मत रखें.
उन्होंने इमरान खान की सरकार पर कश्मीर को लेकर सौदा करने का आरोप लगाया. फजलुर रहमान ने कहा कि इमरान खान कश्मीरियों के लिए कुछ नहीं करेंगे, अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर ध्यान दे. उन्होंने कश्मीर में भारतीय सेना की कार्रवाई के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सख्त कदम उठाने की अपील की.
मीडिया से बात करते हुए PDM प्रमुख ने कहा कि पाकिस्तान ने खुद अपने हाथों से कश्मीर भारत को दिया है. उन्होंने कहा, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने खुद कश्मीर को भारत को सौंप दिया है. मैं कश्मीर के लोगों को सुझाव देता हूं कि उन्हें पाकिस्तान सरकार से कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. इस सरकार ने कश्मीर को लेकर एक डील की है. लेकिन हम आपको निराश नहीं करेंगे.’
उन्होंने कहा कि JUI-F आगामी कश्मीर दिवस पर 5 फरवरी को देश भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करेगी. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस दिन कश्मीर मुद्दे पर जनता को लामबंद करेगी. उन्होंने आगे कहा, ‘हम संयुक्त राष्ट्र से इस मसले पर जागने के लिए कहते हैं. हम दुनिया से कहते हैं कि वो इस मुद्दे पर अपनी आंखे खोले. कश्मीर के लोग भी उतने ही इंसान हैं जितने दुनिया के दूसरे हिस्सों के लोग हैं.’
फजलुर रहमान कश्मीर मामलों पर संसद की समिति के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहे हैं. साल 2018 में जब पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सत्ता में आई तब उन्हें अपने पद से हटना पड़ा. पाकिस्तान में राष्ट्रपति शासन लाने को लेकर आवाजें उठती रही हैं. इस बारे में जब मौलाना से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘हम ऐसे विचारों को बार-बार सुनते रहते हैं. हमें इस राष्ट्रपति प्रणाली की आवश्यकता क्यों है जब हमारे पास संसद, संविधान और संसदीय शासन का मॉडल है.
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसे विचारों का प्रोपेगेंडा फैलाने वालों से पूछा जाना चाहिए कि इस प्रयोग ने देश को अतीत में क्या दिया है. उसी राष्ट्रपति शासन के दौरान देश का विभाजन हुआ था. यह शासन का तानाशाही मॉडल है.’ PDM प्रमुख ने 23 मार्च यानी पाकिस्तान दिवस को इस्लामाबाद में विपक्षी गठबंधन के विरोध मार्च कार्यक्रम में किसी भी बदलाव की संभावना से इनकार किया और इसे देश के लोकतंत्र के भविष्य के लिए ‘निर्णायक आंदोलन’ कहा.
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