इस्लामाबाद। पाकिस्तान इस समय गहरे आर्थिक संकट के बीच फंस गया है। दस दिनों तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की टीम के साथ चली बातचीत 9 फरवरी को समाप्त हो गई। लेकिन, बेलआउट पैकेज को लेकर कोई सहमति न बन सकी। इस बीच, देश के राष्ट्रपति आरिश अल्वी ने मंगलवार को वित्त मंत्री इशाक डार से कहा कि वह 170 अरब रुपये तक टैक्स बढ़ाने के लिए अध्यादेश पारित करने से पहले संसद को विश्वास में लें।
आईएमएफ ने साल 2019 में सात अरब डॉलर के तय कार्यक्रम में से 1.1 अरब डॉलर की अगली किस्त तब तक जारी करने से इनकार दिया है, जब तक कि कुछ शर्तें पूरी नहीं हो जातीं। इनमें से एक शर्त 170 अरब रुपये तक टैक्स बढ़ाना भी शामिल है। राष्ट्रपति अल्वी के साथ बैठक के दौरान वित्त मंत्री डार ने कहा कि सरकार इस साल जून तक टैक्स के रूप में 170 अरब रुपये जुटाना चाहती है।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, अल्वी ने सलाह दी कि इस महत्वपूर्ण विषय पर संसद को भरोसे में लेना ज्यादा उचित होगा और तुरंत एक सत्र बुलाया जाना चाहिए, ताकि विधेयक को बिना किसी देरी के अधिनियमित किया जा सके। अल्वी विपक्षी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी से ताल्लुक रखते हैं और किसी भी अध्यादेश के लिए उनकी सहमति जरूरी है। संसद के जरिए अध्यादेश पारित करने में कई दिन लगेंगे। यह पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति को और कठिन बना सकता है और आईएमएफ सौदे को नुकसान पहुंचा सकता है।
इस बीच, आईएमएफ और पाकिस्तान सरकार ने सोमवार को वर्चुअल तरीके से बातचीत फिर से शुरू की। इस्लामाबाद को उम्मीद है कि जल्द ही एक समझौता हो जाएगा और देश की बीमार अर्थव्यवस्था को बहुत जरूरी राहत मिलेगी। विदेशी मुद्रा भंडार के महज दो अरब अमेरिकी डॉलर के निचले स्तर पर आने के बाद पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए आईएमएफ की ओर देख रहा है।
पाकिस्तान आर्थिक संकट, पिछली गर्मियों में आई विनाशकारी बाढ़ और देशभर में हाल ही में आतंकवादी हमलों में बढ़ोतरी से पैदा हुई अस्थिरता से जूझ रहा है। न्यूयॉर्क स्थित वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था विदेशी मुद्रा भंडार के गंभीर रूप से निम्न स्तर के साथ पर्याप्त क्रेडिट जोखिम का सामना कर रही है।
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