नई दिल्ली: भारत सरकार (Indian government) के जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा (Special Status) हटाने के फैसले के बाद से भारत-पाकिस्तान के बीच संबंध और ज्यादा बिगड़ने लगे. 2019 के बाद पाकिस्तना ने इस फैसले से चिढ़कर भारत से व्यापारिक रिश्ते खत्म कर दिए थे. तब से पाकिस्तान ने अपने हाई कमिश्नर को भारत (India) से अपने मुल्क बुलवा लिया था और इस्लामाबाद में मौजूद भारत के हाई कमिश्नर को भी वापस भारत जाने के लिए कहा था.
पाकिस्तान के पूर्व हाई कमिश्नर अब्दुल बासित (Abdul Basit) ने पाकिस्तान के इस फैसले की निंदा करते हुए कहा है कि जब भारत के साथ कोई व्यापारिक संबंध नहीं हैं तो फिर ट्रेड मंत्री को नियुक्त करने की क्या जरूरत है. पाकिस्तान का फैसला था कि जब तक भारत कश्मीर (Kashmir) के फैसले को वापस नहीं लेता तब तक भारत के साथ कोई व्यापार नहीं किया जाएगा. ऐसे में शहबाज सरकार (Shehbaz Sarkar) का फैसला भारत की तरफ उनके झुकाव को दिखा रहा है.
शहबाज सरकार (Shahbaz Sarkar) ने नए ट्रेड और इन्वेस्टमेंट मंत्री के तौर पर कमर जमान (Qamar Zaman) की नियुक्ति के फैसले पर कहा कि ये एक रूटीन प्रोसीजर है. इस फैसले का भारत से व्यापार (Trade) को लेकर कोई संबंध नहीं है. इस अपॉइंटमेंट को भारत के साथ कारोबार प्रतिबंधों में छूट देने की बात से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. पूर्व पीएम इमरान खान (Former PM Imran Khan) ने भी भारत सरकार के साथ कारोबार को पार्शियली रिज्यूम कर दिया था. कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये फैसला भारत के साथ व्यापार को रिज्यूम करने का पहला कदम हो सकता है. पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति (Economic Condition) में भी इसके जरिए कुछ सुधार हो सकता है. जो लोग शहबाज सरकार के इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें इमरान सरकार का भारत से चीनी और रूई के इंपोर्ट (Import) पर लगी रोक को हटाए जाने के फैसले को भी याद कर लेना चाहिए.
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