नई दिल्ली। खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से जूझ रहे पाकिस्तान ने अपना रक्षा बजट को बढ़ाने का फैसला है। शाहबाज शरीफ सरकार ने देश का रक्षा बजट छह फीसदी तक बढ़ा दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान के सैन्य बलों को अगले वित्त वर्ष के बजट में 1,400 अरब रुपये (7.6 अरब डॉलर) से अधिक का आवंटन मिलने की उम्मीद है। यह चालू साल के बजट से करीब 83 अरब रुपये अधिक होगा।
दरअसल, पीटीआई ने डॉन के हवाले से अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि सैन्य बलों के लिए 1,453 अरब रुपये का आवंटन पिछले साल के 1,370 अरब रुपये के आवंटन से करीब 83 अरब रुपये अधिक होगा। यह लगभग छह प्रतिशत की वृद्धि है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा बजट में यह वृद्धि मुख्य से से कर्मचारियों से संबंधित खर्चों, वेतन और भत्तों पर की व्यय जाएगी।
उधर सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान में प्रत्येक जवान पर सालाना खर्च 26.5 लाख रुपये है, जो भारत के खर्च का एक-तिहाई भी नहीं बैठता। ऐसे में 11.3 प्रतिशत की मुद्रास्फीति को लेने के बाद यह बढ़ोतरी 136 अरब रुपये की होनी चाहिए। मुद्रास्फीति को जोड़ने के बाद पाकिस्तान के सैन्य बलों को उनकी जरूरत से 53 अरब रुपये कम का ही आवंटन होगा। इन आंकड़ों के लिहाज से अगले वित्त वर्ष में पाकिस्तान का रक्षा बजट कुल व्यय का करीब 16 प्रतिशत बैठेगा। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में हिस्सेदारी के हिसाब से यह मौजूदा साल के 2.54 प्रतिशत से घटकर 2.2 प्रतिशत रह जाएगा।
पाकिस्तान सरकार ने यह फैसला ऐसे वक्त किया है, जब देश में महंगाई 64 सप्ताह के रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर है। देश की मुद्रा गिरती जा रही है और ईंधन दिन-पर-दिन महंगा होता जा रहा है। पाकिस्तान का व्यापार घाटा भी बढ़ा है। जानकारों का कहना है कि अगर समय रहते स्थिति पर काबू नहीं पाया गया, तो पाकिस्तान के हालात श्रीलंका की तरह हो सकते हैं।
राजनीतिक एक्सपर्ट्स का भी यही मानना है कि पाकिस्तान भले ही अपना रक्षा बजट बढ़ा रहा हो, लेकिन वह आर्थिक संकट की ओर बढ़ता दिख रहा है। पाकिस्तान में 27 मई को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान उसके विदेशी मुद्रा भंडार में तकरीबन 366 मिलियन डॉलर की बड़ी गिरावट देखने को मिली है। पाकिस्तान के पास दूसरे देशों से आयात होने वाली वस्तुओं के लिए भी कोई खास पैसा नहीं बचा है। वहीं, पेट्रोल की कीमतों में एक हफ्ते में 60 रुपए की बढ़ोतरी की गई है।
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