श्रीनगर। कश्मीर में अपने भारत विरोधी बयानों के लिए जाने जाने वाले हुर्रियत के पुराने नेता सैयद अली शाह गिलानी को पाकिस्तान ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित करने का फैसला किया है। पाकिस्तानी सीनेट ने सोमवार को एक बड़ा फैसला करते हुए गिलानी को पाकिस्तान के सबसे बड़े सिविलयन अवॉर्ड निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित करने का फैसला किया है। इसके अलावा गिलानी के नाम पर एक विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव भी रखा गया है।
गिलानी को निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित करने का प्रस्ताव पाकिस्तानी सीनेटर मुश्ताक अहमद ने लिया था, जिसे वहां के सदन ने ध्वनिमत से पास किया। पाकिस्तानी सीनेट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के खत्म होने की पहली वर्षगांठ पर पाक अधिकृत कश्मीर में बनी अपनी कथित विधानसभा में एक विशेष सत्र बुलाने को भी मंजूरी दी है। बताया जा रहा है कि कश्मीर में गिलानी की अलगाववादी गतिविधियों के कारण ही पाकिस्तान ने उसे निशान-ए-पाकिस्तान से नवाजने का फैसला किया है।
गिलानी ने हाल ही में कश्मीर के अलगाववादी संगठन हुर्रियत से इस्तीफा दे दिया था। सैयद अली शाह गिलानी कश्मीर में आतंकवाद और हिंसा के हालातों के लिए जिम्मेदार लोगों में प्रमुख रूप से नामजद रहा है। गिलानी के ऊपर साल 2016 में हुई कश्मीर हिंसा के बाद टेरर फंडिंग के चार्ज भी लगे थे। इसके अलावा गिलानी को एक लंबे वक्त से कश्मीर के उसके घर में नजरबंद भी रखा गया है।
गिलानी ने हुर्रियत से इस्तीफा देने के फैसले को आईएसआई की एक चाल भी कहा गया था, हालांकि हुर्रियत के कुछ करीबियों ने ये दावा भी किया था कि गिलानी ने अपने खराब स्वास्थ्य के कारण इस पद से इस्तीफा दिया है। गिलानी की उम्र 90 साल के आसपास है और वह मूल रूप से बारामुला जिले के सोपोर टाउन का रहने वाला है।
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