नई दिल्ली: भारत (India) पाकिस्तान (Pakistan) के रिश्तों में तनाव के बीच रमजान (Ramadan) के महीने में एक सकारात्मक (Positive) खबर आई है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी (Foreign Minister Bilawal Bhutto Zardari) ने गुरुवार को विदेश मंत्रालय में आयोजित इफ्तार डिनर में एक भारतीय राजनयिक (Indian diplomat) को निमंत्रण भेजा जिसे भारतीय राजनयिक ने स्वीकार कर लिया. पाकिस्तान की तरफ से भारत के उच्चायुक्त को निमंत्रण भेजा गया था लेकिन उनके पाकिस्तान में न होने से भारत के वरिष्ठ राजनयिक इफ्तार में शामिल हुए.
पाकिस्तान के अखबार, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को सूत्रों ने बताया कि बिलावल भुट्टो ने राजधानी इस्लामाबाद स्थित राजनयिकों के साथ भारतीय राजनयिक को भी इफ्तार का निमंत्रण भेजा था. सूत्रों का कहना है कि भारत ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया और उसके वरिष्ठ राजनयिक ने विदेश मंत्रालय में इफ्तार में भाग लिया.
भारत और पाकिस्तान आमतौर पर इस तरह के समारोहों में एक-दूसरे को आमंत्रित करने से बचते हैं, लेकिन इफ्तार डिनर में एक भारतीय राजनयिक के शामिल होने से संकेत मिलता है कि अगर पाकिस्तान रक्षा और विदेश मंत्रियों की आगामी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठकों में भाग लेता है तो दोनों देशों के बीच उच्च स्तर पर बातचीत की संभावना बन सकती है.
एससीओ में रूस, भारत, चीन, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं और भारत इस साल इसकी अध्यक्षता कर रहा है. 29 मार्च को हुई एससीओ के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में पाकिस्तान ने भाग लिया था. कयास लगाए जा रहे थे कि नई दिल्ली में होने वाली इस बैठक में पाकिस्तान हिस्सा नहीं लेगा लेकिन बैठक से ठीक पहले उसने कहा कि वो बैठक में वर्चुअल तरीके से हिस्सा लेगा.
पाकिस्तान का यह फैसला आश्चर्यजनक था क्योंकि कुछ ही दिनों पहले 21 मार्च को उसने भारतीय थिंक टैंक द्वारा आयोजित एससीओ सशस्त्र बलों के सैन्य चिकित्सा, स्वास्थ्य सेवा और महामारी में योगदान विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में भाग नहीं लिया था. सूत्रों के मुताबिक, सम्मेलन से पहले एक कार्यक्रम में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीर का गलत नक्शा दिखाया था. भारत ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा था कि अगर पाकिस्तान सम्मेलन में हिस्सा लेना चाहता है तो वो कश्मीर का सही मैप दिखाए. इसके बाद पाकिस्तान ने सम्मेलन से दूरी बना ली थी.
एससीओ के रक्षा मंत्री 27-29 अप्रैल के बीच मिलने वाले हैं. चार से पांच मई के बीच एससीओ की विदेश मंत्री स्तरीय बैठक भी होने वाली है. पाकिस्तान ने इन दोनों ही मीटिंग्स में हिस्सा लेने पर सहमति जताई है. हालांकि, पाकिस्तान ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वो इन बैठकों में अपने नेताओं को भेजेगा या वर्चुअल तरीके से इसमें हिस्सा लेगा.
पाकिस्तान और कनाडा के पूर्व राजदूत अजय बिसारिया ने हिंदूस्तान टाइम्स से बात करते हुए कहा, ‘एससीओ की सभी बैठकों में पाकिस्तान की भागीदारी का स्वागत किया जाना चाहिए, हालांकि ध्यान बहुपक्षीय मुद्दों पर होना चाहिए. पाकिस्तान को इन बहुपक्षीय बैठकों में हिस्सा लेना चाहिए और भारत के साथ अपने द्विपक्षीय तनाव के मुद्दों से इतर, बहुपक्षीय मुद्दों पर बात करने के मंत्र का पालन करना चाहिए.’
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