नई दिल्ली: पाकिस्तान आर्थिक संकट से जूझ रहा है. उसे इस समय फंड की बेहद जरूरत है. हालांकि चीन से उसे एक अरब डॉलर का कर्ज मिल गया है, जिससे उसे फौरी तौर पर राहत मिल गई है. इस बीच वह और अधिक धन जुटाने के लिए कराची बंदरगाह टर्मिनलों को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को सौंपना चाहता है. इसके लिए उसने एक समझौते को अंतिम रूप देने को लेकर एक वार्ता समिति का गठन किया है. वह आईएमएफ से रुके हुए लोन को क्लियर कराने के लिए इमरजेंसी फंड जुटाने में लगा हुआ है.
पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने बीते दिन सोमवार को इंटर-गवर्नमेंटल कॉमर्शियल ट्रांजेक्शन्स पर कैबिनेट समिति की बैठक की अध्यक्षता की. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक में फैसला लिया गया है कि कराची पोर्ट ट्रस्ट (KPT) और यूएई सरकार के बीच एक वाणिज्यिक समझौते पर बातचीत करने के लिए एक समिति गठित की जाए.
फैसले में कहा गया है कि कराची बंदरगाह टर्मिनलों को सौंपने के लिए संयुक्त अरब अमीरात की एक नामित एजेंसी के साथ गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट की व्यवस्था के तहत एक मसौदा तैयार किया जाएगा. इस मसौदे को ऑपरेशन, मेंटीनेंस, इनवेस्टमेंट और डेवलेपमेंट समझौते को अंतिम रूप देने के लिए वार्ता समिति को भी अनुमति दी गई है. समिति के सदस्यों में वित्त और विदेश मामलों के अतिरिक्त सचिव, पीएम के विशेष सहायक जहानजेब खान, कराची पोर्ट टर्मिनल के अध्यक्ष और केपीटी के महाप्रबंधक शामिल हैं.
पिछले साल यूएई ने कराची पोर्ट पर दिखाई थी दिलचस्पी
बताया गया है कि यूएई ने बीते साल पाकिस्तान इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल्स (PICT) के प्रशासनिक नियंत्रण वाले कराची पोर्ट टर्मिनलों को हासिल करने में दिलचस्पी दिखाई थी. समिति के गठन के इस कदम से इमरजेंसी फंड जुटाने के लिए पिछले साल बनाए गए कानून के तहत पहला इंटरगवर्नमेंटल लेनदेन हो सकता है. बीते साल पाकिस्तान की गठबंधन सरकार ने इंटर-गवर्नमेंटल कॉमर्शियल ट्रांजेक्शन्स एक्ट बनाया था, जिसका उद्देश्य धन जुटाने के लिए देशी की संपत्ति को फास्ट-ट्रैक बेसिस पर बेचना है.
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