लाहौर। पाकिस्तान दिवालिया होने के बहुत करीब पहुंच गया है। बता दें कि पाकिस्तान का कर्ज उसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है। इसका मतलब यह है कि अर्थव्यवस्था में उत्पादन बढ़ाने की क्षमता कमजोर हो रही है। इस्लामाबाद थिंक टैंक टैबएडलैब ने एक रिपोर्ट में कहा, रिपोर्ट में कहा है कि जब तक यथास्थिति में व्यापक सुधार और नाटकीय बदलाव नहीं होंगे, पाकिस्तान और गहरे डूबता रहेगा। पाकिस्तान का विदेशी लोन 2011 के बाद से लगभग दोगुना हो गया है। वहीं, घरेलू ऋण छह गुना बढ़ गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024 में पाकिस्तान को अनुमानित 49.5 अरब अमेरिकी डॉलर का ऋण परिपक्वता अवधि में चुकाना होगा।
टैबएडलैब ने कहा कि पाकिस्तान का भारी कर्ज़ “एक विकट, Existential and contextual चुनौती है, जिसके लिए तत्काल और रणनीतिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है। कर्ज़ की अदायगी ऐतिहासिक ऊंचाई पर है, जो बढ़ती आबादी की सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और महत्वपूर्ण रूप से जलवायु परिवर्तन जैसी ज़रूरतों को प्राथमिकता से वंचित करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की ऋण प्रोफ़ाइल चिंताजनक है, और इसकी उधार लेने और खर्च करने की आदतें अस्थिर हैं।
बढ़ती आबादी की बढ़ती मांगों के लिए सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और जलवायु परिवर्तन से संबंधित आपदाओं, अनुकूलन रणनीतियों और हरित संक्रमण के लिए अधिक धन की आवश्यकता होती है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान की जलवायु और कर्ज की कमजोरी एक-दूसरे को बढ़ाती है, लेकिन एक ही समय में अस्तित्व संबंधी दोनों संकटों में तालमेल बिठाने और उन्हें कम करने का अवसर है।
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