नई दिल्ली । भारतीय वायुसेना ने चीन से ‘दोस्ती’ निभा रहे पड़ोसी पाकिस्तान की घेराबंदी करने के लिए सीमा से लगे वायु सैनिक अड्डों पर स्वदेशी हल्के लड़ाकू जेट एलसीए तेजस की ऑपरेशनल तैनाती कर दी है। देश में बने इस फाइटर जेट को चीन के साथ चल रहे विवाद के बीच पाकिस्तान की सीमा के आसपास इसलिए तैनात किया गया है ताकि भारत ‘टू फ्रंट वार’ की स्थिति में दोनों देशों से एक साथ मुकाबला कर सके।
भारत ने चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में तनाव के मद्देनजर ‘टू फ्रंट वार’ के मद्देनजर पश्चिमी मोर्चे की हवाई सुरक्षा को और मजबूती देने की काम शुरू कर दिया है। इसीलिए वायुसेना ने पाकिस्तान सीमा के नजदीक सीमा पर लड़ाकू तेजस को तैनात किया है ताकि दोनों दुश्मनों की किसी भी हरकत का एक साथ माकूल जवाब दिया जा सके। चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच पश्चिमी मोर्चे पर तैनात किए गये हल्के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस ने पाकिस्तान सीमा के पास कई बार उड़ानें भरीं। पिछले कुछ सालों से तेजस की उड़ानें अलग-अलग वायु सेना अड्डों पर होती आई हैं। लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस फाइटर की दूसरी स्क्वाड्रन 27 मई को भारतीय वायु सेना के सुलूर वायु सेना स्टेशन में शामिल की गई थी। भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया ने उस समय तेजस में उड़ान भी भरी थी। पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में इसी स्क्वाड्रन के निर्मलजीत सिंह सेखों को मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया था।
देश में बने इस फाइटर जेट को लेकर अब तक की सबसे बड़ी स्वदेशी रक्षा डील 40 हजार करोड़ रुपये में हुई है। शुरुआत में एयरफोर्स और निर्माता एचएएल के बीच मतभेद थे लेकिन तत्कालीन रक्षा मंत्री स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर ने समझौता कराया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से स्वदेशी तेजस एयरक्राफ्ट की तारीफ कर चुके हैं। पीएम ने कहा था कि एलसीए मार्क-1ए वर्जन को खरीदने की डील जल्द ही पूरी होने की उम्मीद है। स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस मार्क-1ए जेट के 83 विमानों के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित 5.2 बिलियन डॉलर का अनुबंध तैयार है और इस साल दिसम्बर में या उससे पहले एचएएल को दिए जाने की संभावना है। अगले दो वर्षों में स्वदेश निर्मित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस मार्क-1ए के 83 जहाजों को वायुसेना में शामिल किया जाना है।
स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस की खासियत
हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा विकसित यह हल्का व कई तरह की भूमिकाओं वाला जेट लड़ाकू विमान है। एलसीए तेजस देश में बना पहला स्वदेशी फाइटर जेट है, जिसमें अमेरिकी इंजन लगा है। यह एक सीट और एक जेट इंजन वाला बिना पूंछ का कम्पाउण्ड-डेल्टा पंख वाला विमान है। इसका विकास 1980 के दशक में शुरू हुआ था। विमान का आधिकारिक नाम ‘तेजस’ 4 मई 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था।
यह लड़ाकू विमान 2222 किमी प्रति घंटा की गति से उड़ान भरने में सक्षम है और एक बार में 3000 किमी. की दूरी तक उड़ान भर सकता है। 3,500 किलो वजन के तेजस फाइटर में 6 तरह की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं। इनमें डर्बी, पाइथन-5, आर-73, अस्त्र, असराम, मेटियोर, ब्रह्मोस-एनजी, डीआरडीओ एंटी-रेडिएशन मिसाइल और ब्रह्मोस-एनजी एंटी शिप मिसाइलें हैं। इसके अलावा इस पर लेजर गाइडेड बम, ग्लाइड बम और क्लस्टर वेपन लगाए जा सकते हैं।
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