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    पाक की बुरी दुर्दशा, चुनाव कराने तक के पैसे नहीं बचे, शहबाज शरीफ के मंत्री ने बताया हाल

  • March 25, 2023

    इस्लामाबाद (islamabad) । पाकिस्तान (Pakistan) की आर्थिक दु्र्दशा का आलम यह है कि हुक्मरानों के पास न तो अपने नागरिकों को खाना खिलाने के पैसे हैं और न ही चुनाव (Election) कराने के। हाल-ए-पाकिस्तान का हकीकत खुद रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ (Defense Minister Khawaja Asif) ने बयां की। एआरवाई न्यूज के मुताबिक, प्रेस कॉन्फ्रेंस में अंतरराष्ट्रीय मीडिया को संबोधित करते हुए, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि वित्त मंत्रालय के पास चुनाव के लिए भी कोई फंड नहीं है।

    पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बताया कि पाकिस्तान को वाशिंगटन स्थित वैश्विक धन ऋणदाता से $ 1.1 बिलियन की बहुत जरूरी धनराशि का इंतजार है, जो मूल रूप से पिछले साल नवंबर में वितरित होने वाली थी। देश एक बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। देश इस वक्त उच्च विदेशी ऋण, कमजोर स्थानीय मुद्रा और घटते विदेशी मुद्रा भंडार से जूझ रहा है।


    पाकिस्तान ने आईएमएफ फंडिंग को अनलॉक करने के समझौते के लिए पूर्व शर्त के रूप में बढ़े हुए करों, सब्सिडी उठाने, उच्च ऊर्जा की कीमतों, रुपये के अवमूल्यन और 25 वर्षों में उच्चतम ब्याज दरों में वृद्धि सहित कई नीतिगत उपायों को लागू किया है, इतना सबकुछ होने के बावजूद आईएमएफ ने पाकिस्तान के लिए फंड अभी तक जारी नहीं किया है।

    ईंधन के दामों में वृद्धि
    हाल ही में, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने घोषणा की कि सरकार समृद्ध उपभोक्ताओं से ईंधन के लिए अधिक शुल्क लेगी। जुटाए गए धन का उपयोग गरीबों के लिए कीमतों को सब्सिडी देने के लिए किया जाएगा, जो मुद्रास्फीति से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

    आईएमएफ के आगे झुका पाक
    आईएमएफ का कहना है कि योजना की घोषणा करने से पहले उससे परामर्श नहीं किया गया था और अब उसने समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले स्पष्टीकरण मांगा है।रॉयटर्स के मुताबिक, पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार, इस योजना में अमीर और गरीब द्वारा भुगतान की जाने वाली कीमतों के बीच प्रति लीटर लगभग 100 रुपये (35 अमेरिकी सेंट) का अंतर शामिल है।

    पेट्रोलियम मंत्री मुसादिक मलिक ने बताया कि उनका मंत्रालय विवरण पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह सब्सिडी नहीं बल्कि राहत कार्यक्रम है। मलिक ने कहा, “बड़ी कार रखने वाले लोग छोटी कार मालिकों की तुलना में अधिक भुगतान करेंगे। छोटी कारें अधिक ईंधन बचत वाली होती हैं, इससे लोगों में ईंधन बचत कारों की तरफ जागरूकता बढ़ेगी।”

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