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    Pakistan: खुद पर भारी पड़ा फौज का आतंकवाद विरोधी अभियान, अपने ही घर में नो एंट्री

  • August 21, 2024

    इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) सोचता कुछ और है और हो कुछ और जाता है. कभी तंगहाली उसे मारती है तो कभी उसका ही पाला पोसा आतंकवाद (Nurtured terrorism). खुफिया रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तानी फौज (Pakistani army) का आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन (Anti-terrorism operation) ‘अज़्म-ए-इस्तेहकाम’ (‘Azm-e-Istehkaam’) अब उसी को भारी पड़ रहा है. हालत इतने बदतर हो गए हैं कि पाकिस्तानी सेना अब अपनी ही सरजमीं पर नहीं जा सकती है। वजीरिस्तान में पाकिस्तान सेना की नो एंट्री हो गई है। वजीरिस्तान में सड़कों पर टीटीपी यानी तहरीक-ए-तालिबान ने चेक पोस्ट लगा दिए हैं और सेना की गाड़ियों के लिए रास्ते पूरी तरह बंद हैं।

    खुफिया रिपोर्ट की मानें तो ‘अज़्म-ए-इस्तेहकाम’ ऑपरेशन के शुरू होने के बाद से बलूच लिब्रेशन आर्मी (BLA), बलूच लिबरेशन फ्रंट (BLF) और तहरीक-ए-तालिबान (TTP) ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ हमले तेज कर दिए हैं. ख़ैबर पख़्तून ख्वा और बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की हालत पस्त हो चुकी है. TTP ने तो वजीरिस्तान और उसके आस पास के इलाकों में फौज के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।


    पाक को मिल रहे दर्द
    अकेले वजीरिस्तान में ही एक दर्जन के करीब एंबुश या आईईडी हमले पाकिस्तानी फौज पर हो चुके हैं. इन हमलों में 22 पाकिस्तानी सेना के जवानों की मौत हो चुकी है. इननमें पाकिस्तानी सेना का एक टॉप अफसर भी शामिल है. इसके अलावा 9 जुलाई को पाकिस्तानी सेना के 3 जवानों को टैंक जिलों से अगवा कर लिया था, जिनकी बॉडी 11 जुलाई को बरामद हुई. वजीरिस्तान में सेना की गाड़ियों के लिए रास्ते पूरी तरह से बंद हैं और जगह-जगह पर चेक पोस्ट लगाए गए हैं. ये सब टीडीपी का किया धरा है।

    चेक पोस्ट पर चेकिंग
    चेक पोस्ट से इस बात की खासा निगरानी की जा रही है कि कहीं कोई पाकिस्तानी सेना का जवान सिविल ड्रेस या सिविल गाड़ियों के जरिए जाने की कोशिश तो नहीं कर रहा है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक सप्ताह में दक्षिणी वजीरिस्तान में टीटीपी आतंकियों की संख्या में बेहिसाब बढ़ोतरी हुई है. इस तरह से पाकिस्तान का जीना मुहाल हो गया है. पाकिस्तानी सेना चाहकर भी इन इलाकों में नहीं जा पा रही है।

    क्या है पाकिस्तान का ‘अज़्म-ए-इस्तेहकाम’
    बता दें कि 23 जून 2024 को पाकिस्तानी सेना ने आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन लॉन्च किया था. इसका नाम ‘अज़्म-ए-इस्तेहकाम’ रखा गया. इस ऑपरेशन के दो अलग-अलग पहलू हैं. पहला कि आतंकियों और उनके नेटवर्क को खत्म करना तो दूसरा तहरीक-ए-तालिबान को अफगानिस्तान की तरफ से मिल रही मदद को रोकने के लिए दबाव बनाना. हालांकि, अब तक पाकिस्तान अपने दोनों मकसद में कामयाब नहीं हो पाया है. शहबाज सरकार के लिए यह बहुत टेंशन वाली बात है।

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