नई दिल्ली (New Delhi) । पाकिस्तान (Pakistan) एक बार फिर जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में आतंकी घटनाओं (terrorist incidents) में तेजी लाने के लिए पूरा जोर लगा रहा है। भारत (India) में जी- 20 (G-20 Summit) की सफलता और कश्मीर पर विश्व का ध्यान आकर्षित करने में विफल रहने के बाद पाकिस्तानी कट्टरपंथी और आतंकी आईएसआई की मदद से जम्मू-कश्मीर में बड़ी आतंकी घटनाओं को अंजाम देना चाहते हैं।
अनंतनाग की ताजा घटना के पीछे भी जानकार पाकिस्तानी बौखलाहट के इस पहलू को देख रहे हैं। जानकारों का कहना है कि घाटी की ताजा घटनाओं में पाकिस्तान का हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि टीआरएफ जैसे संगठन की आड़ में पाकिस्तान खुद को पीछे रखना चाहता है। जबकि लश्कर जैसे संगठन से जुड़े आतंकी हरकत में बने हुए हैं।
बीएसएफ के एडीजी रहे पी.के. मिश्रा का कहना है कि कश्मीर में इस समय टीआरएफ ही सबसे ज्यादा सक्रिय आतंकी संगठन माना जाता है। लश्कर से जुड़े साजिद जट, सज्जाद गुल और सलीम रहमानी ने ही इसको लीड किया। एक और संगठन पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) भी जैश का ही छद्म संगठन है। कश्मीर में होने वाले आतंकी हमलों की जिम्मेदारी टीआरएफ इसलिए लेता है, ताकि पाकिस्तान की सरजमीं से चल रहे लश्कर जैसे आतंकी संगठनों के नाम न सामने आएं। टीआरएफ से जुड़े आतंकी सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं और इसके जरिए युवाओं को भटकाते हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक, साल 2022 में घाटी में जितने आतंकी मारे गए थे, उनमें से 108 टीआरएफ या लश्कर से जुड़े थे।
सुरक्षा जानकारों का कहना है कि 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में बड़ा आतंकी हमला अंजाम देने के बाद दुनियाभर में पाकिस्तान जिस तरह से बेनकाब हुआ और उसे जवाबी कार्रवाई का डर भी बढ़ गया। लिहाजा पाकिस्तान ने रणनीति बदल ली और ऐसा संगठन बनाने की साजिश रची, जिससे भारत में आतंक का एजेंडा भी चलता रहे और उसका नाम भी न आए। इसी रणनीति से आईएसआई ने लश्कर के साथ मिलकर टीआरएफ बनाया। सूत्रों का कहना है कि अभी भी पाकिस्तान सीमा से घुसपैठ की कोशिश लगातार जारी है। साथ ही स्थानीय स्तर पर भी युवाओं को गुमराह करने का प्रयास लगातार चल रहा है।
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