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Pakistan ने फिर की नापाक हरकत, महान सिख योद्धा हरि सिंह नलवा की मूर्ति हटाई

February 05, 2022

इस्लामाबाद. पाकिस्तान (Pakistan) में एक बार फिर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया है. खैबर पख्तूनख्वा (Khyber Pakhtunkhwa) के हरिपुर में स्थानीय प्रशासन द्वारा सिद्दीकी-ए-अकबर चौक (Siddique-i-Akbar Chowk) से महान सिख जनरल हरि सिंह नलवा (Great Sikh General Hari Singh Nalwa) की एक मूर्ति को हटा दिया गया है. आठ फीट लंबी धातु की संरचना का निर्माण सितंबर में किया गया था. मूर्ति को शहर के सौंदर्यीकरण योजना के तहत स्थापित किया गया था. रिपोर्ट्स में बताया गया है कि मूर्ति के साथ-साथ इसके पुख्ता बेस की कीमत लगभग 25 लाख रुपये है.

दरअसल, चौराहे पर लगाई गई इस मूर्ति को लेकर धार्मिक समूहों ने आपत्ति जताई थी. इसके बाद प्रशासन ने स्मारक को चौराहे से हटा दिया. इस चौराहे का नाम इस्लाम के पहले खलीफा हजरत अब्दुल बकर (आरए) के नाम पर रखा गया है. इस वजह से ही मूर्ति को लेकर आपत्ति जताई गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराजा हरि सिंह नलवा (Maharaja Hari Singh Nalwa) की मूर्ति को जीटी रोड पर पूर्व में आधा फरलांग दूर एक टैंक में ले जाया जाएगा. वहीं, खलीफा के नाम का एक नया स्मारक सिद्दीकी-ए-अकबर चौक पर स्थापित किया जाएगा.



बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा (Manjinder Singh Sirsa) ने सिख समुदाय (Sikh community) के लिए भावनात्मक रूप से महत्व वाली मूर्ति को हटाने पर कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार (Pakistan government) देश से सिख इतिहास और विरासत को कम करने की कोशिश कर रही है. सिरसा ने ट्वीट कर कहा, ‘पाकिस्तान सरकार ने हरि सिंह नलवा की हवेली की मरम्मत करने का वादा किया था, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है. अब, हरि सिंह नलवा की प्रतिमा को हटाना सिख इतिहास और विरासत को कम करने का एक और तरीका है. हम कड़े शब्दों में इसकी निंदा करते हैं और मूर्ति को फिर से लगाने की मांग करते हैं.’

कौन थे हरि सिंह नलवा?
हरि सिंह नलवा सिख खालसा सेना (Sikh Khalsa Army) के कमांडर-इन-चीफ थे. उन्होंने महाराजा रणजीत सिंह (Ranjit Singh) के साम्राज्य की स्थापना और उसकी विजय में प्रमुख भूमिका निभाई थी. उन्होंने कम से कम बीस प्रमुख और ऐतिहासिक युद्धों की कमान संभाली या उनमें भाग लिया. इनमें से सबसे उल्लेखनीय कसूर, सियालकोट, अटक, मुल्तान, कश्मीर, पेशावर और जमरूद की लड़ाई थी, जिसमें हरि सिंह नलवा ने कमान संभाली और जीत हासिल की.

यहां गौर करने वाली बात ये है कि पाकिस्तान में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जहां कट्टरपंथी इस्लामवादियों द्वारा धार्मिक मंदिरों और मूर्तियों को नष्ट कर दिया या तोड़ दिया. दूसरी ओर, सरकार ऐसे हमलों को रोकने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाती है और चुप्पी साधे रहती है.

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