चंडीगढ़ । फाजिल्का नाला (Fazilka Drain) बंद करने के मुद्दे पर पाकिस्तान (Pakistan) ने गलती स्वीकार कर ली है। पड़ोसी देश ने नाले को खोलने के लिए कार्रवाई शुरू करने पर सहमति जताई है। स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission) की हाल ही में हुई बैठक में पाकिस्तान (Pakistan) ने भारत (India) के दिखाए साक्ष्यों पर आश्वासन दिया है कि वह जल्द ही इस पर कार्रवाई शुरू करेगा। इस फैसले से फाजिल्का सहित सूबे के 200 गांवों के लोगों को राहत मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि पंजाब के 18 से 20 शहर ऐसे हैं जिनमें अभी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की सुविधा नहीं है। इसके कारण इन जिलों का गंदा पानी कई ड्रेनों के जरिये फाजिल्का नाले पर एकत्र होता है। यहां से यह गंदा पानी पाकिस्तान के क्षेत्र में बहने वाली सतलुज नदी में मिल जाता था। कुछ समय पहले पाकिस्तान ने रंजिशन फाजिल्का नाले के प्रवाह को बंद कर दिया, प्रवाह नहीं होने से फाजिल्का व आसपास के 200 गांवों में यह दूषित पानी एकत्र हो गया। कुछ ही समय में सैकड़ों एकड़ क्षेत्र में इस गंदे पानी की झीलें बननी शुरू हो गईं। इससे यहां का पानी दूषित होने लगा और फसलों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
पंजाब के इस गंभीर मुद्दे को भारत की ओर से स्थायी सिंधु आयोग की तीन दिवसीय बैठक में उठाया गया। भारत की ओर से फाजिल्का नाले के प्रवाह को बंद करने से आई परेशानी को पड़ोसी देश के प्रतिनिधियों के समक्ष रखा गया। इसके बाद पाकिस्तान की ओर से गलती मानते हुए यह आश्वासन दिया गया कि सतलुज नदी में फाजिल्का नाले के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई जल्द शुरू की जाएगी। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सिंधु जल के भारतीय आयुक्त पीके सक्सेना ने किया।
इस संबंध में विक्रम आदित्य आहूजा, कृषि विशेषज्ञ और किसान का कहना है कि फाजिल्का और आसपास के क्षेत्र को पाकिस्तान के इस फैसले से जरूर राहत मिलेगी। हालांकि यह अस्थायी व्यवस्था है। केंद्र और राज्य की ओर से इस मामले के स्थायी समाधान करने होंगे।
बतादें कि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि के प्रावधानों के तहत दोनों आयुक्तों को हर साल कम से कम एक बार भारत और पाकिस्तान में बारी-बारी से मिलना होता है। स्थायी सिंधु आयोग की अंतिम बैठक 23-24 मार्च, 2021 को नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।
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