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    पाक ने कराया था पुलवामा आतंकी हमला

  • November 01, 2020

    – प्रमोद भार्गव

    14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले का सच आखिरकार पाकिस्तान के केंद्रीय मंत्री फवाद चौधरी ने पाक की भरी संसद में उगल दिया। घमंड में इतराते चौधरी ने कहा कि ‘पुलवामा हमला प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व में किया गया था। यह पाक की बड़ी कामयाबी थी।’ जबकि आर्थिक प्रतिबंधों से बचने के लिए पाकिस्तान की इमरान सरकार इस आतंकी हमले से इनकार करती रही थी। अब इस स्वीकारोक्ति ने जता दिया है कि पाक आतंकवाद को खुला संरक्षण दे रहा है। इस स्वीकारोक्ति के परिप्रेक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवाधिकारों के संरक्षक देशों का दायित्व बनता है कि वे अब पाकिस्तान के प्रति कठोर रवैया अपनाते हुए आतंक पर लगाम लगाने के लिए आगे आएं।

    कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर 14 फरवरी 2019 को धोखे से हमला किया गया था, जिसमें 44 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद भारत ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक करते हुए पाक सीमा में स्थित कई आतंकी शिविरों पर हमला बोलकर भारतीय सैनिकों की शहादत का बदला लिया। इस शिविर का संचालन वही मसूद अजहर का साला मौलाना यूसुफ कर रहा था, जिसने भारतीय संसद पर हमला बोला था। इस हमले से देश की जनता आग-बबूला थी। परिणामस्वरूप मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देकर भारतीयों की छाती को ठंडा किया।

    भारत में आतंक के लंबे दौर में यह पहला मौका था, जब पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकी शिविरों को भारतीय सेना ने ध्वस्त किया था। इस हमले के बाद भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान का लड़ाकू विमान पाक सीमा में गिर गया था और उन्हें पाक सेना ने हिरासत में ले लिया था। इस हमले और अभिनंदन के पकड़ में आने के बाद पाक को अहसास हो रहा था कि भारत इस करतूत का बदला लेगा। इसीलिए पाकिस्तान के सांसद अयाज सादिक ने दावा किया है कि अभिनंदन के सिलसिले में आयोजित बैठक में पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के पैर कांप रहे थे। इस बैठक में इमरान खान भी मौजूद थे। शाह ने कहा था कि ‘हमने अभिनंदन को नहीं छोड़ा तो भारत पाकिस्तान पर हमला कर देगा। इस भय के वशीभूत होकर ही एक मार्च 2019 को अभिनंदन को छोड़ दिया गया था।

    बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश विपक्ष के नेताओं ने कुछ इस तरह से की थी, जिससे भारत की वैश्विक स्तर पर किरकिरी हो। इनमें राहुल गांधी, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल प्रमुख थे। राहुल ने पाकिस्तान को सबसे भरोसेमंद देश बताया तो केजरीवाल और ममता ने सर्जिकल स्ट्राइक में मारे गए आतंकियों की बतौर प्रमाण संख्या पूछी। पुलवामा हमले पर ये लोग पाकिस्तान की भाषा बोल रहे थे। अब ये नेता अपने किए पर देश और जनता के प्रति शर्मिंदगी जताएं।

    हालांकि नरेंद्र मोदी ने पाक द्वारा सच स्वीकारने के बाद सरदार पटेल की 145वीं जयंती पर गुजरात के केवाड़िया में नेताओं को करारा तमाचा जड़ा है। मोदी ने अपनी वेदना व्यक्त करते हुए पुलवामा हमले पर पहली बार कहा कि ‘पाकिस्तान ने अपनी संसद में इस हमले का सच मंजूर कर लिया है। इस घटना में राजनीतिक लाभ तलाशने वाले विपक्षी नेताओं के चेहरे बेनकाब हो गए हैं। फवाद चौधरी ने इस हमले में व्याप्त पाक की भूमिका स्वीकार कर ली है।

    दो दशक के भीतर यह पहला मौका था, जब पाक की सीमा में घुसकर आतंकियों को ठिकाने लगाया गया था। अन्यथा 15 दिसंबर 2001 को जैशे-मोहम्मद के पांच आतंकियों ने संसद पर हमला बोला था। उस दिन एक सफेद एंबेडसर कार में आए इन आतंकवादियों ने 45 मिनट में लोकतंत्र के इस सबसे बड़े मंदिर को गोलियों से छलनी किया। हमलावरों से मुकाबले में अपने प्राणों की परवाह किए बिना सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हुए। एक महिला सिपाही और दो सुरक्षा गार्ड भी दायित्व की वेदी पर बलिदान कर गए। अन्य 16 जवान घायल हुए। इस हमले का मास्टर माइंड अफजल गुरु था, जिसे बाद में 20 अक्टूबर 2006 को फांसी दे दी गई। इस हमले ने देश को बुरी तरह झकझोरा।

    26 नवंबर 2008 को मुंबई के ताज होटल समेत 10 आतंकियों ने चार ठिकानों पर हमले किए। इन हमलों में देशी-विदेशी 166 लोग मारे गए। तीन दिनों तक महानगर आतंकियों का बंधक बना रहा। बमुश्किल सैन्य व सुरक्षाबलों की कार्रवाई ने नौ आतंकियों को मार गिराया और एक नाबालिग अजमल कसाब को जीवित पकड़ा। कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई। उस समय भी जनता की भावना उग्र आक्रोश के रूप में दिखी, किंतु मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली सरकार कोई जवाबी करिश्मा नहीं दिखा पाए।

    इसी तरह 18 सितंबर 2016 को उरी में स्थित थलसेना के स्थानीय मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हुए। हालांकि जवाबी कार्यवाही में चार आतंकियों को तत्काल मार गिराया गया था। नरेंद्र मोदी ने साहस दिखाया और अपने कार्यकाल में 29 सितंबर 2016 को पहली सर्जिकल स्ट्राइक की। थलसेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में करीब 20 किमी भीतर घुसकर जैशे-मोहम्मद के कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया।

    14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में जब 44 जवान शहीद हो गए तो देश आगबबूला हो उठा। 20 साल बाद देश पर यह बड़ा आतंकी हमला था। 12 मिराज विमानों ने ग्वालियर और बरेली से उड़ान भरी और बालाकोट, चकोटी व मुजफ्फराबाद में मौजूद जैश के आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया। इसमें 325 आतंकी और 25 से 27 प्रशिक्षु आतंकी मारे गए। इनमें चकोटी एवं मुजफ्फराबाद तो पीओके में हैं, किंतु बालाकोट पाकिस्तान के पख्तूख्वा प्रांत में है। 1971 के बाद यह पहला अवसर है कि भारत ने पाक की जमीन पर जबरदस्त बमबारी की और बिना कोई नुकसान उठाए युद्धक विमान और सैनिक सकुशल लौट आए। पाक को करारा सबक सिखाने की दृष्टि से सेना ने न केवल नियंत्रण रेखा पार की, बल्कि लक्ष्य साधने के लिए पाकिस्तान की मूल सीमा लांघने में भी कोई संकोच नहीं किया। इस प्रतिक्रिया से यह भी पैगाम गया है कि भारत अब लक्ष्य प्राप्ति के लिए कोई भी जोखिम उठाने को तैयार है।

    इस हमले के बाद भारत के पक्ष में विश्व समुदाय खड़ा हुआ जबकि पाक फिलहाल अलग-थलग पड़ता चला गया। मुस्लिम राष्ट्रों का भी उसे साथ नहीं मिला। जाहिर है, मोदी ने अनेक देशों की यात्राएं करके जो द्विपक्षीय कूटनीतिक संबंध बनाए थे, वे फलीभूत हुए थे। इसीलिए कहीं से भी समर्थन नहीं मिल पाने की वजह से एक तो पाक बौखला रहा है, दूसरा उसका मनोबल भी टूट रहा है। चीन से उसे बड़ी उम्मीद थी लेकिन चीन केवल परस्पर शांति बनाए रखने की अपील करके बच निकला था।

    इस समय पाक-पोषित आतंकवाद से अनेक मुस्लिम देशों सहित यूरोपीय देश भी पीड़ित हैं। फवाद चौधरी के बयान के बाद भारतीय विपक्ष समेत आतंक पीड़ित देशों को जरूरत है कि वे पाक पोषित आतंकवाद के विरुद्ध आवाज उठाएं, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आतंकवाद के विरुद्ध केंदित हो। पाकिस्तान इस समय आतंकवाद का सबसे बड़ा गढ़ बना हुआ है। वहीं दुनिया में फैले आतंकवाद की सबसे ज्यादा पैरवी करता है। इसी वजह से फ्रांस में हुए आतंकी हमले पर इमरान खान के मुख से निष्ठुर आतंकियों के विरुद्ध एक शब्द नहीं निकला। इसके उलट इस धार्मिक कट्टरता से लड़ने की फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो ने जो प्रतिबद्धता जताई उसका भी एक तरह से मखौल उड़ाया।

    (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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