पेशावर। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत स्थित एक फैमिली पार्क और ऐतिहासिक हिंदू धार्मिक स्थल पंज तीरथ (Panj Tirath) को कट्टरपंथियों ने खाली कराने और उस पर अतिक्रमण की कई बार कोशिश की। यह मामला कई साल से अदालत में चल रहा है। पाकिस्तान की एक अदालत ने शुक्रवार को पंज तीरथ से जुड़े भूमि सीमांकन मामले में दलीलें सुनने के बाद सरकार के एक शीर्ष सरकारी अधिकारी को तलब किया।
2019 में राष्ट्रीय विरासत स्थल घोषित किया गया था
पंज तीरथ को उत्तर पश्चिम पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की सरकार ने 2019 में राष्ट्रीय विरासत स्थल घोषित किया था। पांच कुंड होने के चलते इसका नाम पंज तीरथ पड़ा है। इस विरासत स्थल पर दो मंदिर और एक प्रवेश द्वार है जिसकी स्थिति जर्जर है और उसे पुरातात्विक संरक्षण की आवश्यकता है। इसकी ज्यादातर जमीन ‘चाचा यूनस फैमिली’ पार्क के स्वामित्व में है, जबकि भवनों का उपयोग पार्क के मालिक द्वारा गोदामों के रूप में किया जा रहा है।
भूमि सीमांकन का मुद्दा नहीं सुलझा
इस मामले में गुरुवार को पेशावर उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने दलीलें सुनीं और पेशावर शहर के उपायुक्त को तलब किया। खैबर पख्तूनख्वा के पुरातत्व विभाग के निदेशक अब्दुस समद खान, अतिरिक्त महाधिवक्ता सिकंदर हयात शाह और औकाफ विभाग के अधिकारी अदालत में पेश हुए। समद ने कोर्ट को बताया कि उनके विभाग ने औकाफ विभाग और पार्क प्रशासन के साथ कई बैठकें की हैं।
उन्होंने कहा कि मामले से संबंधित कुछ समस्याओं को हल कर लिया गया है, लेकिन भूमि सीमांकन का मुद्दा अनसुलझा है। सरकार के रिकॉर्ड के मुताबिक, पंज तीरथ का कुल क्षेत्र करीब 14 कनाल (1.75 एकड़) और सात मरला (0.04 एकड़) है। हालांकि, इसका ज्यादातर हिस्सा ‘चाचा यूनस फैमिली पार्क’ का हिस्सा है, जिसे जिला प्रशासन ने पट्टे पर दिया था।
पंज तीरथ की ज्यादातर भूमि पर कब्जा
बता दें कि राष्ट्रीय धरोहर घोषित पंज तीरथ में कभी धार्मिक स्थल के पांच ताल हुआ करते थे। लेकिन, अवैध कब्जा करने वालों ने यहां की स्थिति बिगाड़ कर रख दी। समद ने अदालत से कहा कि पार्क प्रशासन पुरातत्व विभाग को सिर्फ एक कनाल (0.125 एकड़) और 11 मरला देना चाहता था, जबकि हमारे पुरातत्व स्थल में पांच कनाल (0.625 एकड़) और 11 मरला (0.06 एकड़) शामिल हैं। अधिकारी ने कहा कि पार्क प्रशासन ने अधिकारियों को पार्क के रास्ते से मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया। औकाफ विभाग के अधिकारी ने कहा कि हमें पार्क और पुरातात्विक स्थल के बीच भूमि सीमांकन से संबंधित अन्य समस्याओं को हल के लिए और वक्त चाहिए। इसमें पंज तीरथ मंदिर भी शामिल है।
एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थल था पंज तीरथ
पंज तीरथ 1947 से पहले पेशावर में एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थल था। पुरातत्वविद् एसएम जाफर ने 1952 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘एन इंट्रोडक्शन टू पेशावर’ में लिखा था कि पंज-तीर्थ (पांच टैंक) रुचि और पुरातनता के स्थानों में से एक है। यह बात पेशावर में या उसके आसपास, बौद्ध काल की डेटिंग से सामने आई। फ्राइडे टाइम्स अखबार की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, पुरातत्वविदों का मानना है कि पंज तीरथ में बुद्ध के भिक्षापात्र के निशान हैं।
महाभारत काल में यहां स्नान करने आते थे राजा पांडु
ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में पौराणिक राजा पांडु इसी क्षेत्र के थे और हिंदू कार्तिक के महीने (23 अक्तूबर और 21 नवंबर के बीच) के दौरान इन कुंडों में स्नान करने के लिए आते थे और पेड़ों के नीचे दो दिनों तक पूजा करते थे। 1747 में अफगान दुर्रानी राजवंश के शासनकाल के दौरान इस स्थल को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था, लेकिन 1834 में सिख शासन की अवधि के दौरान स्थानीय हिंदुओं द्वारा इसे बहाल किया गया था और फिर से पूजा शुरू हुई थी।
पुरातत्व निदेशालय ने खैबर पख्तूनख्वा सरकार से अतिक्रमण की जगह को खाली करने और पुरातत्वविदों को अति आवश्यक संरक्षण कार्य करने की अनुमति देने के लिए कहा है। साथ ही स्थल के चारों ओर बाउंड्री वॉल बनाने की भी मांग की है।
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