उज्जैन। जिला अस्पताल में पिछले दो साल से मरीजों के पलंग पर बिछाने के लिए चादर और गद्दे बजट के अभाव में नहीं खरीदे जा पा रहे हैं। वही दूसरी ओर रंगाई पुताई के नाम पर जिला अस्पताल में फिजूल खर्च किया जा रहा है। दो माह पहले जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं का भौतिक सत्यापन करने के लिए क्वालिटी कंट्रोल इंश्योरेंस की राष्ट्रीय स्तर की तीन टीमें आई थी। भौतिक सत्यापन से पहले जिला अस्पताल सहित चरक अस्पताल का रंगरोगन किया गया था। परिसरों में लगातार सफाई कराई जा रही थी। इतना ही नहीं जाँच दल के आने के एक दिन पहले रातों-रात चरक और जिला अस्पताल में लगे टूटे-फुटे पलंग और गद्दे तक इधर उधर से इंतजाम कर दूसरे रखवा दिए गए थे। इसी तरह जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड से लेकर आईसीयू और जनरल वार्डों में भी मरीजों के ब्लड प्रेशर को जाँचने के लिए परंपरागत रक्तचाप मापी यंत्र (स्फिग्मोमैनोमीटर) की व्यवस्था की गई थी।
जब तक क्वालिटी कंट्रोल इंश्योरेंस की राष्ट्रीय स्तर की तीन टीमें यहाँ लगातार तीन दिन व्यवस्थाओं की जाँच पड़ताल कर रही थी तब तक यह रक्तचाप मापी यंत्र हर वार्ड में इंतजाम कर रखवा दिए गए थे, लेकिन जैसे ही जाँच दल यहाँ से रवाना हुआ तो अगले दिन जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड से लेकर आईसीयू और जनरल वार्डों में लाए गए यह रक्तचाप मापी यंत्र (स्फिग्मोमैनोमीटर) हटा दिए गए। एक बार फिर जिला अस्पताल के सामान्स से लेकर गंभीर मरीज तक का उपचार इस यंत्र के बगैर बीपी जाँचे किया जा रहा है। इस बारे में जवाबदार चिकित्सकों का कहना है कि रक्तचाप मापी यंत्र नए खरीदने का अस्पताल के पास बजट नहीं है। इधर वार्डों में अभी भी लगातार रंगाई पुताई का काम चल रहा है। इसमें रंगाई पुताई के नाम पर लापरवाही बरती जा रही है। अस्पताल की दीवारों को बगैर फिनिश किए कलर पोता जा रहा है, जिससे पुताई के तत्काल बाद ही दीवारों पर लगा रंग पपड़ी के रूप में निकल रहा है। इस लापरवाही पर सिविल सर्जन कार्यालय ध्यान नहीं दे रहा। लोगों का कहना है कि एक ओर तो जिला अस्पताल में नए कंबल, चादर और फट चुके गद्दे खरीदने के लिए अस्पताल प्रबंधन बजट नहीं होने का हवाला दे रहा है। वहीं दूसरी ओर गुणवत्ताहीन रंगाई पुताई के नाम पर सरकारी धन बर्बाद किया जा रहा है।
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