इस्लामाबाद। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के बीच तनाव चरम पर है। भारत की संभावित जवाबी कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान (Pakistan) दहशत में है। वहां की सरकार के लिए भी मुश्किल भरा दौर है। लगभग सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। पाकिस्तान (Pakistan) ने एलओसी पर अपने सैनिकों की तैनाती कर दी है। इस बीच पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री इशाक डार (Foreign Minister Ishaq Dar) ने अपना ढाका दौरा स्थगित कर दिया है। वह 27-28 अप्रैल को बांग्लादेश (Bangladesh) की यात्रा करने वाले थे।
ढाका स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, “अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री बांग्लादेश की यात्रा करने में असमर्थ हैं।” बयान में कहा गया कि यात्रा की नई तिथि आपसी सहमति से तय की जाएगी।
भारत-पाक संबंधों में बढ़ा तनाव
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत और दर्जनों के घायल होने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। भारत ने इस हमले के लिए सीधे तौर पर पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है और कई राजनयिक व सैन्य कदम उठाए हैं।
ढाका-इस्लामाबाद संबंध
बांग्लादेश और पाकिस्तान के संबंधों में भी लंबे समय से खटास रही है। विशेष रूप से 2010 से जब प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान समर्थक अपराधियों के खिलाफ मुकदमे शुरू किए थे। हालांकि, पिछले साल 5 अगस्त को हुए छात्रों के नेतृत्व वाले आंदोलन के बाद जब शेख हसीना ने गुप्त रूप से भारत में शरण ली और प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार सत्ता में आई तब से ढाका-इस्लामाबाद संबंधों में थोड़ी सुधार की संभावना दिखी।
पिछले सप्ताह पाक विदेश सचिव अमना बलोच ने बांग्लादेश का दौरा किया था और 15 वर्षों के अंतराल के बाद दोनों देशों के बीच फॉरेन ऑफिस कंसल्टेशन (FOC) आयोजित हुआ। यूनुस और बलोच के बीच मुलाकात में व्यापारिक सहयोग और आपसी रिश्तों को मजबूत करने पर जोर दिया गया था, हालांकि बांग्लादेश ने पाकिस्तान से यह स्पष्ट रूप से कहा कि “इतिहास से जुड़े कई मुद्दे अब भी अधूरे हैं। जिनमें 1971 के नरसंहार के लिए औपचारिक माफी और पूर्व-स्वतंत्रता संपत्तियों का बंटवारा शामिल है।”
2012 के बाद हो सकती थी पहली यात्रा
अगर यह दौरा होता, तो यह 2012 के बाद पहली बार होता जब किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने बांग्लादेश का दौरा किया होता। इस दौरे को दोनों देशों के बीच संबंधों में संभावित नई शुरुआत के रूप में देखा जा रहा था।
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